Pulwama Attack: शहीद की बेटी कहती है-“मुझे पापा वाली बंदूक चलानी है”

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी, 2019 को सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर हुए आतंकी हमले (Pulwama Attack) में यूपी के उन्नाव जिले के रहने वाले अजीत कुमार आजाद भी शहीद हुए थे।

Martyr Ajeet Kumar

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी, 2019 को सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर हुए आतंकी हमले (Pulwama Attack) में यूपी के उन्नाव जिले के रहने वाले अजीत कुमार आजाद भी शहीद हुए थे। अजीत के पिता प्यारेलाल कहते हैं कि बाकी सारी चीजें तो लगभग पूरी हो गईं हैं, लेकिन शहीद बेटे के स्मारक तक जाने वाली सड़क खस्ताहाल है, बस उसे ठीक करा दिया जाए तो सब ठीक है।

Martyr Ajeet Kumar
शहीद अजीत कुमार आजाद।

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी, 2019 को सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर हुए आतंकी हमले में यूपी के उन्नाव जिले के रहने वाले अजीत कुमार आजाद भी शहीद हुए थे। अजीत (Martyr Ajeet Kumar Azad) के पिता प्यारेलाल कहते हैं कि बाकी सारी चीजें तो लगभग पूरी हो गईं हैं, लेकिन शहीद बेटे के स्मारक तक जाने वाली सड़क खस्ताहाल है, बस उसे ठीक करा दिया जाए तो सब ठीक है।

पत्नी से कहा था, कैंप पहुंचकर बात करता हूं

हमले वाले दिन को याद करते हुए अजीत (Martyr Ajeet Kumar Azad) की विधवा पत्नी मीना गौतम कहती हैं, “उस दिन मेरी उनसे सुबह भी बात हुई थी। दोपहर में जब वह बस में थे तो बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि यह एरिया सेफ नहीं है। कैंप पहुंचकर बात करता हूं। यह मेरे लिए अजीत के आखिरी शब्द थे।”

“मुझे पापा वाली बंदूक चलानी है”

अजीत (Martyr Ajeet Kumar Azad) की पत्नी मीना ने कहा, “आज उस घटना को पूरा एक साल हो गया। अजीत के जाने के बाद मैंने हर रोज उनकी बातों को महसूस किया है। बस अब तो यही चाहती हूं कि बेटी ईशा (9) और श्रेया (7) अच्छे से पढ़ाई पूरी करें। अजीत का ख्वाब था कि बेटियां डॉक्टर बनें। बड़ी बेटी ईशा डॉक्टर बनना चाहती है और छोटी बेटी श्रेया तो कहती है कि मुझे पापा वाली बंदूक चलानी है। वह अपने पिता की तरह देश की सेवा करना चाहती है।”

बेटे की याद में अक्सर उसकी तस्वीर को निहारती है मां

आजाद (Martyr Ajeet Kumar Azad) के पिता प्यारेलाल कहते हैं, “बेटे की पहली बरसी में जाने का दुख कैसे बयां कर सकता हूं। हम लोग तो बच्चों के ही आसरे हैं। अजीत हमारे लिए एक मजबूत हाथ था, उसकी कमी बहुत खलती है।” प्यारेलाल कहते हैं, “मेरे पांच बेटे थे। एक देश की सेवा में शहीद हो गया। बढ़ती उम्र के साथ हर रोज उसकी याद आती है। उसके तन पर सजी वर्दी, देश सेवा के गुमान में तनी हुई छाती सोचकर हम आज भी गर्व महसूस करते हैं। मेरी पत्नी राजवंती देवी अजीत की याद में अक्सर उसकी तस्वीर को निहारती रहती हैं। बड़ी किस्मत से देश की सेवा करने का मौका मिलता है।” प्यारेलाल बताते हैं, “हमें लोगों का, प्रशासन का, सरकार का बहुत सहयोग मिला। बस बेटे के स्मारक तक जाने वाली सड़क को मरम्मत की जरूरत है।”

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