
नेशनल वॉर मेमोरियल
देश का पहला नेशनल वॉर मेमोरियल (National War Memorial) देश को समर्पित कर दिया गया है। यह मेमोरियल आजादी के बाद से अब तक देश के लिए जान न्योछावर करने वाले वीर जवानों के सम्मान में बनाया गया है। मेमोरियल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।
आपको बता दें कि नेशनल वॉर मेमोरियल का प्रस्ताव पहली बार 1960 में सशस्त्र बलों ने दिया था। तब से अब सरकारें आती रहीं, जाती रहीं लेकिन ये प्रस्ताव ठंडे बस्ते में ही पड़ा रहा। इस स्मारक के निर्माण की मंजूरी मिली अक्टूबर 2015 में, करीब 55 साल बाद।
40 एकड़ में बना ये मेमोरियल उन जवानों के प्रति सम्मान का प्रतीक है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। मेमोरियल को देश की रक्षा की खातिर शहीद होने वाले 25 हजार 942 से वीर जवानों की याद में बनाया गया है। अब से शहीदों से जुड़े कार्यक्रम अमर जवान ज्योति के बजाए नेशनल वॉर मेमोरियल में ही होंगे। इस प्रॉजेक्ट पर करीब 176 करोड़ रुपये की लागत आई है। 1947-48, 1961 में गोवा मुक्ति आंदोलन, 1962 में चीन से युद्ध, 1965 में पाक से जंग, 1971 में बांग्लादेश निर्माण, 1987 में सियाचिन, 1987-88 में श्रीलंका और 1999 में कारगिल में शहीद होने वाले सैनिकों के सम्मान में इसे बनाया गया है।
यूं तो दिल्ली स्थित इंडिया गेट (India Gate) में भी एक युद्ध स्मारक है। पर वह पहले विश्वयुद्ध और अफगान लड़ाई के दौरान शहीद हुए सैनिकों की याद में बना है। इसके बाद 1971 की लड़ाई में शहीद हुए सैनिकों की याद में अमर जवान ज्योति बनाई गई।
6 भुजाओं वाले आकार में बने मेमोरियल के बीचो-बीच 15 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ बनाया गया है। इस पर भित्ति चित्र, ग्राफिक पैनल, शहीदों के नाम और 21 परमवीर चक्र विजेताओं की मूर्ति बनाई गई है। स्मारक 4 चक्रों पर केंद्रित है- अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र, रक्षक चक्र। इसमें थल सेना, वायुसेना और नौसेना के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई है। शहीदों के नाम दीवार की ईंटों में उकेरे गए हैं। स्मारक के नीचे का हिस्सा बिल्कुल अमर जवान ज्योति की ही तरह है।
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