माइनस 30 डिग्री में भी पाक सेना को कर दिया तहस-नहस, जानें ‘परमवीर चक्र’ विजेता बाना सिंह की कहानी

दुश्मनों ने 6500 मीटर की ऊंचाई पर स्थिति चोटिंयों पर कब्जा जमा लिया था। ग्‍लेशियर पर बर्फं ने पाकिस्‍तानी घुसपैठियों की स्थिति को बेहद मजबूत कर दिया था।

NB SUB BANA SINGH

दुश्मनों ने 6500 मीटर की ऊंचाई पर स्थिति चोटिंयों पर कब्जा जमा लिया था। ग्‍लेशियर पर मौजूद बर्फ की दीवारों ने पाकिस्‍तानी घुसपैठियों की स्थिति को बेहद मजबूत कर दिया था।

पाकिस्तान (Pakistan) हमेशा से भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचता आया है और आज तक ये सिलसिला जारी है। भारत भी पाक के हर एक षड्यंत्र को हराता आया है। पाकिस्तान को कश्मीर चाहिए और वह इसके लिए किसी भी हद तक गिर सकता है। भारत कश्मीर से उतना ही प्यार करता है जितना देश के अन्य राज्यों से करता है। पाकिस्तान आजादी के बाद से अबतक कई बार कश्मीर में घुसपैठ कर चुका है लेकिन हर बार बुरी तरह हारकर वापस गया है।

ऐसा ही 1987 में भी हुआ था जब सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बड़ी तादाद में पाकिस्‍तानी घुसपैठियों ने सियाचिन इलाके में घुसपैठ कर ली थी। दुश्मनों को भारतीय सेना के जवानों ने बुरी तरह से भगा-भगाकर मारा था। उस समय नायब सूबेदार बाना सिंह ने शौर्य का ऐसा परिचय दिया था जिसे यादकर आज भी हर देशवासी को गर्व महसूस होता है। उन्हें अभूतपूर्व साहस का परिचय देने के लिए देश के सर्वोच्च सैन्य सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया था।

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दरअसल 8 जून 1987 के दौरान जम्‍मू-कश्‍मीर लाइट इंफैंट्री को सियाचिन एरिया में तैनात किया गया था। तैनाती के दौरान पाया गया कि बड़ी तादाद में पाकिस्‍तानी घुसपैठियों ने सियाचिन के कई इलाकों में घुसपैठ कर दी है। इन घुसपैठियों को सियाचिन के इलाके से खदेड़ने के लिए एक स्‍पेशल टास्‍क फोर्स का गठन किया गया था जिसमें बाना सिंह को भी शामिल किया गया था।

दुश्मनों ने 6500 मीटर की ऊंचाई पर स्थिति चोटियों पर कब्जा जमा लिया था। ग्‍लेशियर पर मौजूद बर्फ की दीवारों ने पाकिस्‍तानी घुसपैठियों की स्थिति को बेहद मजबूत कर दिया था। विश्व में सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में 21 हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय सैनिकों की जांबाज टुकड़ी ने 26 जून 1987 को अपनी उस चोटी को वापस हासिल किया था। दुश्मनों को ग्लेशियर के पीछे छिपे थे और उन्हें इसका फायदा मिल रहा था।

सेना ने दुश्मनों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन शुरू किया। बर्फ पर चढ़ाई की गई। बाना सिंह और उनके चार साथी दुश्मन के करीब पहुंचने में कामयाब रहे। दुश्मन और भारतीय सेना के बीच ग्लेशियर की चट्टान थी। दुश्मन पर हमला करने के लिए इस ग्लेशियर के कुछ हिस्से को ग्रेनेड से उड़ाया गया। इसके बाद उन्होंने बर्फ की दीवार पर चढ़कर असाधारण वीरता दिखाई।

चढ़ते, रेंगते वे दुश्मन के और करीब पहुंचे और फिर हैंड ग्रेनेड फेंककर दुश्मन से ‘हैंड टू हैंड’ फाइट कर पोस्ट को वापस हासिल कर लिया। वहीं पाकिस्तान के कुछ सैनिक तो ग्रेनेड हमले के बाद ही भाग खड़े हुए थे। इस ऑपरेशन के दौरान रात का तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस था। भयंकर सर्दी की वजहे से बन्दूकें भी ठीक काम नहीं कर रहीं थीं। लेकिन सेना ने हार नहीं मानी और बाना सिंह के नेतृत्व में दुश्मन से पोस्ट को छुड़ा लिया।

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