दो कूबड़ वाले ऊंट के बिना सीमा पर अधूरे हैं हमारे जवान! जानें कैसे सेना करती हैं इनका इस्तेमाल

सेना के लिए डबल हम्पल कैमल यानी दो कूबड़ वाले ऊंट  की व्यवस्था की गई है। इनके जरिए भारी भरकम सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है।

Indian Army

दो कूबड़ वाले ऊंट

Indian Army Double Hump Camel: सेना के लिए डबल हम्पल कैमल यानी दो कूबड़ वाले ऊंट की व्यवस्था की गई है। इनके जरिए भारी भरकम सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है।

नई दिल्ली: भारतीय सेना (Indian Army) सीमा पर दिन रात हमारी रक्षा करती है। सेना के जवान किसी भी चुनौती का सामना करने के हमेशा तैयार रहते हैं। हर देशवासी सुकून की नींद ले सके इसके लिए हमारे जवान अपना जीवन त्याग देने के लिए तत्पर रहते हैं। दुश्मन हमारी तरफ आंख उठाकर देखे भी तो जवानों का खून खौल उठता है।

अंतरराष्ट्रीय सीमा का ज्यादात्तर हिस्सा पहाड़ों पर है। चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर हमारे जवान लगातार कड़ी मेहनत करते हैं। ऊंची पहाड़ियों पर रोजमर्रा का सामान की आवाजाही काफी मुश्किल होती है।

ऐसे में सेना के लिए डबल हम्पल कैमल यानी दो कूबड़ वाले ऊंट  की व्यवस्था की गई है। इनके जरिए भारी भरकम सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। डबल हम्पल कैमल भार ढोने और ऊंची पहाड़ियों पर लंबी दूरी तय करने में माहिर होते हैं।

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गश्त और लोड ले जाने के उद्देश्य के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध बैक्ट्रियन (डबल कूबड़ वाले) ऊंटों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। खासकर पूर्वी क्षेत्र में चीन की सीमा पर इनकी अहम भूमिका होती है।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इन दो कूबड़ या बैक्ट्रियन ऊंटों पर रिसर्च की है, जो पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में 17,000 फीट की ऊंचाई पर 170 किलोग्राम भार उठा सकते हैं।

यह 12 किलोमीटर तक गश्त लगा सकते हैं। बीते कुछ महीनों में भारत-चीन तनाव के बीच सेना में इन्हें बड़ी तादाद में शामिल किया गया है। सेना का लक्ष्य है कि प्रजनन के बाद इन जानवरों की तादाद को जल्द से जल्द बढ़ाकर सेना में शामिल किया जाए।

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