होली से चंद रोज पहले नक्सलियों ने किया था बड़ा हमला, बीजापुर के रानीबोदली गांव में शहीद हुए थे 56 जवान

हमला रात के समय में किया गया था। रानीबोदली गांव में मौजूद पुलिस कैंप में जब जवान सो रहे थे। नक्सलियों ने जवानों पर फायरिंग कर दी थी।

Naxalites

फाइल फोटो।

Naxal Attack: हमला रात के समय में किया गया था। रानीबोदली गांव में मौजूद पुलिस कैंप में जब जवान सो रहे थे तो नक्सलियों ने कायरता का परिचय देते हुए गहरी नींद में सो रहे जवानों पर फायरिंग कर दी थी।

नक्सली हमारे वीर सपूतों पर घात लगाकर पीछे से वार करते आए हैं। ऐसे कई नक्सली हमलों (Naxal Attack) को अंजाम दिया गया है जिनमें जवानों पर अचानक हमला बोल दिया गया हो। नक्सली बेहद ही प्लानिंग के साथ और गुप्त सूचनाओं के आधार पर हमले को अंजाम देते आए हैं। 

नक्सली जवानों के खिलाफ हमला बोलकर आम लोगों में नक्सलियों का खौफ बढ़ाते हैं। वे जवानों पर हमला कर यह जताना चाहते हैं कि उन्हें उनके काम से न रोका जाए। उनका एजेंडा प्रभावित न किया जाए और वह दहशत फैलाते जाएं। लेकिन वे हमारे देश की आंतरिक सुरक्षा के सबसे बड़े दुश्मन हैं। जवानों ने उन्हें भस्म करने का प्रण लिया है।

एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान कई बार सेना को भी बड़ा नुकसान झेलना पड़ जाता है। साल 2007 में सेना के जवानों पर नक्सलियों ने बड़ा हमला बोल दिया था। यह हमला  15 मार्च, 2007 को बीजापुर जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर बसा रानीबोदली गांव में अंजाम दिया गया था। इस हमले में पुलिस के 55 जवान शहीद हुए थे। होली से चंद रोज पहले ही इस हमले को अंजाम दिया गया था।

दरअसल, हमला रात के समय में किया गया था। रानीबोदली गांव में मौजूद पुलिस कैंप में जब जवान सो रहे थे तो नक्सलियों ने कायरता का परिचय देते हुए गहरी नींद में सो रहे जवानों पर फायरिंग कर दी थी। करीब 500 नक्सलियों ने रात के एक बजे के समय इस हमले को अंजाम दिया था।

नक्सलियों ने सबसे पहले कैंप के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों को मारा गिराया और उसके बाद कैंप में सो रहे जवानों पर हमला किया। इस हमले में देखते ही देखते 56 जवान शहीद हो गए थे। नक्सलियों ने फायरिंग के साथ-साथ पेट्रोल बम भी फेंके थे। इसके बाद कैंप को बाहर से आग लगा दिया था। ज्यादातर जवान सीएएफ व एसपीओ के थे। जवानों की जवाबी कार्रवाई में नौ नक्सली भी मारे गए थे।

वर्ष 2005 में सलवा जुडूम शुरू होने के बाद राहत शिविर में आए हुए ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए जगह-जगह कैंप स्थापित कर जवानों की तैनाती की गई थी। रानीबोदली भी उसी का हिस्सा था। सेना के जवान ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए दिन रात एक किए हुए थे लेकिन नक्सली किसी के सगे नहीं होते। वह सिर्फ देश में अशांति फैलाना चाहते हैं। नक्सली कैंप की चहारदीवारी पर सीढ़ियां लगाकर जवानों पर ताबड़तोड़ गोलियां चला रहे थे। करीब दो घंटे की ताबड़तोड़ गोलीबारी के बाद नक्सली मुठभेड़ स्थल से चले गए थे।

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हर साल होली पर इस गांव के लोग सिहर उठते हैं। उनके गांव में नक्सलियों ने जो दहशत फैलाई थी उसको यादकर लोग आज भी खौफ में जिंदगी जी रहे हैं। उन्हें लगता है कि पता नहीं कहीं दोबारा ऐसा हमला न हो जाए। हमले की दास्तां आज भी रानीबोदली के लोगों के जहन में कैद है।

एक नक्सली ने कर दिया था सरेंडर: इस हमले में शामिल एक ईनामी नक्सली ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच (एसआईबी) मुख्यालय में सरेंडर कर दिया था। वह करतम शंकर उर्फ लच्छु (22) के सिर पर आठ लाख रुपए का इनाम था। वह बीजापुर जिले के टेकला गांव का निवासी है। नक्सली हमले के दौरान पुलिस द्वारा जवाबी कार्रवाई में उसके पैर में गोली लगी थी और वह घायल हो गया था।

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