पीठ पर लगी गोली फिर भी नक्सलियों से लड़ते रहे, पढ़िए एक शहीद के अदम्य साहस की कहानी

नक्सलियों ने कायरता पूर्ण कार्रवाई करते हुए नीरज की पीठ में गोली मारी थी लेकिन बहादुर नीरज गोली लगने के बावजूद घंटों नक्सलियों से लड़ते रहे। लड़ते-लड़ते नीरज छेत्री मौके पर ही शहीद हो गए।

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3 जून, 2019…सुबह करीब 3 बजे का वक्त रहा होगा। इस समय दुमका पुलिस बल और एसएसबी के जवान यहां के जगलों और पठारी इलाकों में नक्सलियों से लोहा ले रहे थे। दरअसल, प्रशासन को सूचना मिली थी कि बीहड़ों में छिप कर बैठे नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में है। उनके इस मंसूबे को तहस-नहस करने के लिए बहादुर जवान उनकी मांद में घुस गए। खुद को चारों तरफ से घिरा पाकर नक्सलियों ने पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। पूरी तैयारी के साथ आए सुरक्षा बलों ने इस मुठभेड़ में नक्सलियों के दांत खट्टे कर दिए और उनके कई साथियों को घायल कर दिया। दुमका पुलिस बल एसएसबी साथियों के साथ आगे बढ़ रही थी इसी दौरान कठोलिया पहाड़ी के पास नक्सलियों की तरफ से चलाई जा रही ताबड़तोड़ फायरिंग में हमारे 4 जवान घायल हो गए। इन घायल जवानों में नीरज छेत्री भी शामिल थे। नक्सलियों ने कायरता पूर्ण कार्रवाई करते हुए नीरज की पीठ में गोली मारी थी लेकिन बहादुर नीरज गोली लगने के बावजूद घंटों नक्सलियों से लड़ते रहे। लड़ते-लड़ते नीरज छेत्री मौके पर ही शहीद हो गए।

माना जा रहा है कि इस हमले में नक्सलियों को काफी नुकसान हुआ। पुलिस की कार्रवाई में नक्सलियों के कई साथी घायल हुए। हालांकि नक्सली अपने घायल साथियों को वहां से लेकर निकल जाने में कामयाब रहे। यह भी कहा जा रहा है कि कुछ नक्सली इस मुठभेड़ में मारे भी गए, हालांकि इसकी पुष्टि अभी पुलिस ने नहीं की है। वर्ष 1991 में जन्मे नीरज की पढ़ाई असम शहर में हुई। इनके माता-पिता की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी बावजूद इसके नीरज की पढ़ाई रुकी नहीं और आखिरकार 10 सितंबर, 2014 को नीरज ने एसएसबी ज्वाइन कर लिया। शहीद नीरज छेत्री असम के सोनितपुर जिले के हेलम थाना क्षेत्र के कारीबिल नेपाली गांव के रहने वाले थे।

नीरज के शहीद होने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री समेत कई लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। उनका शव जैसे ही उनके गांव पहुंचा वहां मातम छा गया। शहीद का शव देखते ही उसके परिजनों और ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट गया और सभी की आंखें नम हो गईं। वीर शहीद पुत्र की मां अंबिका और पिता शिवा तथा बहन सुनैना के साथ-साथ चाचा रोहित, चाची रोहिणी सभी नीरज पर गर्व कर रहे थे। बता दें कि नीरज की अभी शादी नहीं हुई थी। वीर शहीद नीरज छेत्री आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी यादें हमेशा हमें उनकी वीरता की कहानी याद दिलाती रहेंगी।

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