जेल में नंगा करके पीटा और फिर शरीर को कई जगह पर जलाया, जानें 20 साल पाक जेल में रहे इस जासूस की कहानी

1986-87 के दौरान कराची जेल में जरदारी के साथ कुछ महीने बीता चुके हैं। इलाही 60 और 70 के दशक के दौरान पाकिस्तान में जासूसी कर चुके हैं।

भारत के पूर्व जासूस महबूब इलाही।

An Indian spy in Pakistan: 1986-87 के दौरान कराची जेल में जरदारी के साथ कुछ महीने बिता चुके हैं।  इलाही 60 और 70 के दशक के दौरान पाकिस्तान में जासूसी कर चुके हैं।

भारतीय जासूस बेहद ही शातिर तरीके से काम करते आए हैं। एक नहीं बल्कि कई मौकों पर उन्होंने इस बात को साबित भी किया है। दुश्मन देश पाकिस्तान की नापाक हरकतों का पता लगाने के लिए इंटेलीजेंस एजेंसियों के जरिए जासूसी करवाई जाती है। इसका फायदा यह होता है कि हमारा दुश्मन क्या सोच रहा है और क्या प्लानिंग कर रहा है , इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की जा सकती हैं।

कई बार जासूसी करते वक्त हमारे वीर सपूत सफल होते हैं तो कई बार वह पकड़े जाते हैं। एक ऐसी ही वीर सपूत है भारत के पूर्व जासूस महबूब इलाही। वे पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में 20 वर्ष की सजा काट चुके हैं। 1986-87 के दौरान कराची जेल में जरदारी के साथ कुछ महीने बिता चुके हैं।  इलाही 60 और 70 के दशक के दौरान पाकिस्तान में जासूसी कर चुके हैं।

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जेल में नंगा करके पीटा गया: उन्हें 23 जून 1977 को गिरफ्तार किया गया था और रिहाई एक दिसंबर 1996 को हुई थी। वे बताते हैं कि उन्हें जेल में नंगा कर पीटा जाता था। शरीर को कई जगह से जला दिया गया था। 

महबूब इलाही ने बीबीसी न्यूज से बातचीत में उस वक्त की कई बातों को साझा किया है। वह बताते हैं 1968 में मुझे ढाका भेजा गया था जहां मैंने कुछ साल जासूसी की। 1971 में बांग्लादेश युद्ध शुरू होने से दो महीने पहले मुझे कराची जाने का आदेश मिला। मुझे कहा गया था कि मैं वहां जाकर पाकिस्तानी सेना में भर्ती हो जाऊं। मैंने ऐसा ही किया।

इलाही आगे बताते हैं, ‘मैंने सेना में भर्ती होने के बाद कई खबरों को एकत्रित किया था। लेकिन एक मौके पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी को मुझपर शक हो गया था। मुझपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। मैं वापस कोलकाता आ गया लेकिन मुझसे कुछ वक्त बाद कहा गया कि मैं फिर से पाकिस्तान जाऊं। इसके बाद मैंने ऐसा ही किया लेकिन 20 जून 1977 को मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। मेरे खिलाफ जांच हुई और मुझे जासूसी का दोषी करार दिया गया और 20 साल की सजा हुई।’

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