नहीं रहा ‘मेघदूत’ का योद्धा, माइनस 60 डिग्री में किया था दुनिया का सबसे ऊंचा मैदान-ए-जंग फतह

‘ऑपरेशन मेघदूत’ की अगुवाई करने वाले भारतीय सेना (Indian Army) के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम नाथ हून (Lt General PN Hoon) का निधन हो गया।

Lt General PN Hoon

'ऑपरेशन मेघदूत' की अगुवाई करने वाले भारतीय सेना (Indian Army) के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम नाथ हून (Lt General PN Hoon) का निधन हो गया।

‘ऑपरेशन मेघदूत’ की अगुवाई करने वाले भारतीय सेना (Indian Army) के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम नाथ हून (Lt General PN Hoon) का निधन हो गया। 6 जनवरी की शाम को 91 वर्ष की उम्र में चंडीगढ़ में पीएन हून का निधन हुआ। पीएन हून के नेतृत्व में भारतीय सेना ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी सियाचिन पर तिरंगा फहराया था।

Lt General PN Hoon
लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम नाथ हून (फाइल फोटो)।

पीएन हून का जन्म पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ था, लेकिन बंटवारे के समय उनका परिवार भारत आ गया था। 1987 में वे पश्चिमी कमान के प्रमुख के रूप में रिटायर हुए। इसके बाद 2013 में उन्होंने बीजेपी ज्वॉइन कर ली थी। लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून (Lt General PN Hoon) का पिछले दो दिनों से पंचकूला के कमांड अस्पताल में इलाज चल रहा था। डॉक्टरों ने 6 जनवरी शाम 5.30 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया।

1984 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में पीएन हून ने अहम भूमिका निभाई थी। दुनिया के सबसे ऊंचे मैदान-ए-जंग में सीधे टकराव की यह एक तरह से पहली घटना थी। इसे ‘ऑपरेशन मेघदूत’ नाम दिया गया और इसने भारत की सामरिक रणनीतिक जीत की नींव रखी। सियाचिन की भौगोलिक बनावट ऐसी है कि भारत की तरफ से सियाचिन की खड़ी चढ़ाई है और इसीलिए ‘ऑपरेशन मेघदूत’ को काफी मुश्किल माना गया था। जबकि पाकिस्तान की तरफ से ये ऊंचाई काफी कम है। उसके बावजूद भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों को मात दी थी। इसीलिए दुनियाभर के सफल ऑपरेशन्स में ‘ऑपरेशन मेघदूत’ का नाम भी आता है। ये अपनी तरह का एक अलग ही युद्ध था जिसमें भारतीय सैनिकों ने माइनस 60 से माइनस 70 डिग्री के तापमान में सबसे ऊंची पहाड़ियों पर जाकर फतह हासिल की थी।

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भारतीय सेना (Indian Army) लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून (Lt General PN Hoon) की अदम्य साहस की गवाह रही है। साल 1983 में पाकिस्तान सियाचीन चोटी पर कब्जे की कोशिश में लगा था। लेकिन पीएन हून के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया। सियाचीन पर कब्जे के लिए भारतीय सेना (Indian Army) ने लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून (Lt General PN Hoon) की अगुआई में ‘ऑपरेशन मेघदूत’ को अंजाम दिया था। 1983 में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सूचना दी कि पाकिस्तानी सेना सियाचीन पर कब्जे की तैयारी कर रही है।

दरअसल, पाकिस्तानी सेना ने सियाचीन में सेना की तैनाती के लिए यूरोप से सर्दियों में पहने जाने वाले गर्म कपड़ों के भारी ऑर्डर दिए थे। ये सब सियाचीन में सैनिकों की तैनाती और हमले की प्लानिंग को लेकर किया जा रहा था। इसी बीच भारतीय सेना (Indian Army) को यह सूचना मिली और उसने इस सूचना पर सधी हुई कार्रवाई का प्लान बनाया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेना को इस मूव की इजाजत दी। सियाचीन को पाकिस्तान के कब्जे में जाने से रोकने के लिए भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन मेघदूत’ लॉन्च किया। लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून (Lt General PN Hoon) को इस ऑपरेशन की जिम्मेदारी दी गई।

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13 अप्रैल, 1984 को भारतीय सेना (Indian Army) ने ऑपरेशन मेघदूत पर काम शुरू किया। लेकिन इसके सिर्फ एक दिन पहले यानी 12 अप्रैल को ही ग्लेशियर से ढंके सियाचीन जैसे इलाके में सैनिकों को पहनने वाले कपड़े का इंतजाम हुआ था। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर कब्जे की यह एतिहासिक जंग थी। भारत के लिए मुश्किल ये थी कि भारत की तरफ से सियाचीन की खड़ी चढ़ाई थी। जबकि पाकिस्तान की तरफ से सियाचीन की ऊंचाई कम थी। पीएन हून के नेतृत्व में भारतीय सेना ने सियाचिन की भीषण ठंड में भी पाकिस्तानी सेना को मात दी। सियाचीन पर भारत के कब्जे में खुफिया एजेंसियों का अहम रोल रहा। खुफिया एजेंसियों को सूचना मिली थी की 17 अप्रैल, 1984 को पाकिस्तान सियाचीन पर कब्जे के लिए चढ़ाई करेगा।

भारतीय सेना (Indian Army) ने उसके पहले 13 अप्रैल को ही सियाचीन पर कब्जे की जंग शुरू कर दी। अगर पाकिस्तान की सेना सियाचीन को अपने कब्जे में ले लेती तो भारतीय सेना के लिए इसे वापस लेना मुश्किल हो सकता था। लेकिन भारतीय सेना (Indian Army) ने ऐसा होने से पहले ही वहां तिरंगा लहरा दिया। माइनस 60 से 70 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी भारतीय सेना के जांबाज डटे रहे और लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून (Lt General PN Hoon) के नेतृत्व में सियाचीन की चोटी फतह की। पाकिस्तान के लिए ये हार काफी शर्मनाक थी।

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