बसंतर लड़ाई में लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह का बजा था डंका, टीम के साथ पाक के 48 टैंक कर दिए थे भस्म

बसंतर (बैटल ऑफ बसंतर) की मशहूर लड़ाई में दुश्मन से घिर जाने के बावजूद अपने हर जूनियर ऑफिसर को एक इंच भी पीछे हटने के लिए मना कर दिया था।

लेफ्टिनेंट जनरल हनूत सिंह राठौड़।

बसंतर (बैटल ऑफ बसंतर) की मशहूर लड़ाई में दुश्मन से घिर जाने के बावजूद अपने हर जूनियर ऑफिसर को एक इंच भी पीछे हटने के लिए मना कर दिया था।

भारत और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने ऐसा शौर्य दिखाया था जिसे आज भी याद किया जाता है। सेना के शानदार प्रदर्शन के दम पर भारत को जीत हासिल हुई थी। इस जीत के साथ ही पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना। युद्ध में सेना के एक-एक जवान ने अपने शौर्य का परिचय दिया। युद्ध में एक जवान ऐसे भी थे जिन्होंने ऐसा साहस दिखाया था जिसे आज भी याद किया जाता है।

भारतीय सेना के भूतपूर्व लेफ्टिनेंट जनरल हनूत सिंह राठौड़ ने युद्ध में शानदार प्रदर्शन किया था। युद्ध में सैन्य कौशल का परिचय देने के लिए उन्हें सैन्य सम्मान ‘महावीर चक्र’ से सम्मानित किया गया था। दरअसल हनूत सिंह की अगुवाई में पूना हॉर्स रेजीमेंट ने वर्ष 1965 तथा 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान के 48 टैंक नष्ट कर दिए थे जिसके बाद पाक सेना के सामने हार स्वीकार करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचा।

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बसंतर (बैटल ऑफ बसंतर) की मशहूर लड़ाई में दुश्मन से घिर जाने के बावजूद अपने हर जूनियर ऑफिसर को एक इंच भी पीछे हटने के लिए मना कर दिया था। उनकी इसी रणनीति के दम पर सेना बसंतर की लड़ाई में जीत हासिल करने में कामयाब हुई और पाकिस्तान को हार के अलावा और कुछ नसीब नहीं हुआ।

इसी लड़ाई में सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल को अद्मय साहस का परिचय देने पर मरणोपरांत परमवीर चक्र मिला था। बता दें कि ले. जनरल हनूत सिंह का जन्म 6 जुलाई 1933 को ले. कर्नल अर्जुन सिंह के घर हुआ था। वह जोधपुर से लगभग 80 किलोमीटर के फासले पर स्थित शहर बालोतरा के रहने वाले थे। 2015 में वह इस दुनिया को अलविदा कह गए थे।

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