1965 युद्ध के ‘हीरो’ एबी तारापोर, इनकी लीडरशिप में Pak सेना के 65 पैटन टैंक हुए थे खाक

क्षेत्र पर कब्जा करने की जिम्मेदारी तारापोर (Lieutenant Colonel Ardeshir Burzorji Tarapore) को ही सौंपी गई थी। सात सितंबर के दिन फिल्लौरी में सेना का सामना पैटन टैंक से लैस पाकिस्तानी सेना से हुआ था।

Lieutenant Colonel Ardeshir Burzorji Tarapore

पूना हार्स रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टीनेंट कर्नल एबी तारापोर।

क्षेत्र पर कब्जा करने की जिम्मेदारी तारापोर (Lieutenant Colonel Ardeshir Burzorji Tarapore) को ही सौंपी गई थी। सात सितंबर के दिन फिल्लौरी में सेना का सामना पैटन टैंक से लैस पाकिस्तानी सेना से हुआ था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना ने चीन से 1962 की लड़ाई में मिली हार का सारा गुस्सा उतार दिया था। सेना ने पाकिस्तान को बुरी तरह खदेड़ा था। इस युद्ध में कई वीर सपूतों ने देश का नाम रौशन किया। योद्धाओं ने ऐसी बहादुरी दिखाई जिसे याद कर दुश्मन आज भी थर-थर कांप उठते होंगे।

यूं तो युद्ध में हर एक जवान का योगदान अहमितय रखता है लेकिन कुछ जवान अपनी ऐसी छाप छोड़ते हैं जिन्हें हमेशा याद रखा जाता है। ऐसा ही बहादुरी की मिसाल पूना हार्स रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टीनेंट कर्नल एबी तारापोर (Lieutenant Colonel Ardeshir Burzorji Tarapore) ने दिखाई थी। उन्होंने बहादुरी का परिचय सात से 11 सितंबर तक सियालकोट (पाकिस्तान) के फिल्लौरी नामक स्थान पर दिखाया था।

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क्षेत्र पर कब्जा करने की जिम्मेदारी तारापोर को ही सौंपी गई थी। सात सितंबर के दिन फिल्लौरी में सेना का सामना पैटन टैंक से लैस पाकिस्तानी सेना से हुआ था। इन अमेरिकी टैंकों के आगे सेना का मनोबल कतई नहीं टूटा।

इस दौरान तारापोर के लीडरशिप में गोलंदार से इतने सटीक लक्ष्य भेदे कि पाकिस्तानी सेना के करीब 65 पैटन टैंक बर्बाद हो गए थे। जबकि पूना हार्स रेजीमेंट के सिर्फ 9 टैंक क्षतिग्रस्त हुए। पाक सैनिकों के टैंकों को ढेर करने के बाद तो सेना का हौसला सातवें आसमान पर पहुंच गया था।

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युद्ध के दौरान ही 16 सितंबर को लेफ्टिनेंट कर्नल एबी तारापोर (Lieutenant Colonel Ardeshir Burzorji Tarapore) युद्ध के मैदान पर ही शहीद हो गए। फिल्लौरी के युद्ध में भारतीय सेना के पांच आफिसर व 64 सैनिक शहीद हुए थे।  कर्नल एबी तारापोर को अभूतपूर्व साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत सेना के सबसे बड़े सैन्य सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया।

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