कारगिल युद्ध की कहानी ‘हीरो’ दीपचंद प्रख्यात की जुबानी, ऐसा था उस समय का माहौल

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। करीब 60 दिनों तक भारतीय सेना (Indian Army) पाकिस्तानी सेना पर भारी पड़े थे। पाकिस्तान को हराकर ही हमारी सेना ने दम लिया था। 

Lance Naik Deepchand Prakhyat

रिटायर्ड लांस नायक दीपचंद प्रख्यात।

Kargil War 1999: इस युद्ध के एक ‘हीरो’ रिटायर्ड लांस नायक दीपचंद प्रख्यात (Lance Naik Deepchand Prakhyat) भी हैं। उन्होंने युद्ध के दिनों को याद करते हुए अपना अनुभव साझा किया है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। करीब 60 दिनों तक भारतीय सेना (Indian Army) पाकिस्तानी सेना पर भारी पड़े थे। पाकिस्तान को हराकर ही हमारी सेना ने दम लिया था। पाकिस्तानी सेना को भारत से कहीं ज्यादा नुकसान हुआ था। यहां तक कि उसने अपने सैनिकों की लाशें लेने से भी इनकार कर दिया था।

हमारी सेना के जवानों ने अंतिम सांस तक देश की सेवा की और दुश्मनों को भारी नुकसान पहुंचाया। सेना के इन वीर सपूतों में से कुछ को सैन्य सम्मान से भी नवाजा गया। युद्ध में भारत के 1,300 से ज्यादा जवान घायल हुए थे।

Kargil War 1999: ऐसा था चश्मीदद का अनुभव, रात भर पहाड़ी पर बम बरसते थे

इस युद्ध के ऐसे ही एक ‘हीरो’ रिटायर्ड लांस नायक दीपचंद प्रख्यात (Lance Naik Deepchand Prakhyat) भी हैं। उन्होंने युद्ध के दिनों को याद करते हुए अपना अनुभव साझा किया है। हरियाणा के हिसार के पबरा गांव में पले बड़े प्रख्यात बताते हैं, “मैं जब गुलमर्ग में तैनात था तो युद्ध में जाने का आदेश आया था। 5 मई, 1999 को बटालिक में पाकिस्तानी घुसपैठ की जानकारी मिली थी।”

वे आगे बताते हैं, “जब दुश्मन अंदर तक घुस आए तो मेरे और मेरे दल के जवानों ने 120 मिमी मोटर्स के हथियार के साथ चढ़ाई की थी। कंधे पर ही भारी भरकम गोला बारूद लेकर कई किलो मीटर चढ़कर दुश्मनों से लोहा लिया था।”

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रिटायर्ड लांस नायक दीपचंद प्रख्यात (Lance Naik Deepchand Prakhyat) कहते हैं, “हमारे लिए जो राशन का इंतजाम करता था तो हम उससे ज्यादा से ज्यादा गोल बारूद लाने के लिए कहते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि युद्ध में भूख नहीं लगती। सैनिकों के लिए, देश पहले आता है।”

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