कुपवाड़ा एनकाउंटर में शहीद हुए CRPF जवान पिंटू के कायल हो गए थे कश्मीरी

कुपवाड़ा एनकाउंटर में शहीद हुए जवान पिंटू सिंह कश्मीर में अपनी तैनाती के दौरान वहां के स्थानीय युवाओं से काफी घुल-मिल गए थे। यही वजह थी कि उन्हें भारत-दर्शन प्रोग्राम के लिए 15 कश्मीरी युवाओं की टीम का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई थी।

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जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में बिहार के बेगूसराय जिले के बखरी प्रखंड के ध्यान चक्की गांव के रहने वाले सीआरपीएफ अधिकारी पिंटू कुमार सिंह शहीद हो गये। पिंटू सिंह की शहादत पर पूरा बिहार मर्माहत है। कुपवाड़ा में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच बड़ी मुठभेड़ हुई थी। इसमें सीआरपीएफ के अफसर समेत 5 जवान शहीद हो गए थे। जबकि 9 घायल हो गए थे। इससे पहले सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को ढेर कर दिया था।

मुठभेड़ में शहीद हुए सीआरपीएफ में इंस्पेक्टर पिंटू सिंह की अपनी पत्नी अंजू सिंह से आखिरी बार 1 मार्च को दोपहर 2:15 बजे बात हुई थी। पिंटू ने अपनी पत्नी से कहा था कि अभी एक बड़े ऑपरेशन पर हैं। 2-3 घंटे में फ्री होकर बात करते हैं। लेकिन, जब शाम 7 बजे तक फोन नहीं आया तो अंजू की चिंता बढ़ गई। कई बार कॉल किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। फिर सरकारी क्वार्टर पर तैनात कुक को फोन किया। उसने कहा कि साहब ऑपरेशन पर गए हैं…। मैडम प्लीज घर में किसी पुरुष सदस्य से बात कराइए। इसके बाद अंजू ने अपने बड़े भाई धनंजय को फोन किया।

धनंजय सिंह बताते हैं कि कंट्रोल रूम में शाम 7:30 बजे बात हुई। कंट्रोल रूम से जानकारी मिली कि भारी बर्फबारी के बीच गोलीबारी हो रही है। हालात अच्छे नहीं हैं। रात 9:15 बजे कंट्रोल रूम से फोन आया कि पिंटू शहीद हो गए। रात में भी कई बार बहन को दिलासा देने के लिए कंट्रोल रूम में बात की। आखिर में शनिवार सुबह 10 बजे बहन को पिंटू के शहीद होने की बात बताई। धनंजय सिंह ने बताया कि पिंटू का 16 मार्च की फ्लाइट का टिकट था। वे अपनी 5 साल की बेटी पीहू के बर्थ-डे और होली पर एक माह की छुट्टी में आने वाले थे।

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पिंटू लंगट सिंह महाविद्यालय (एलएस) कॉलेज मुजफ्फरपुर से रसायन शास्त्र में स्नातक किया। वे 3 साल ड्यूक हॉस्टल में रहे। पिंटू सामाजिक और मिलनसार प्रवृत्ति के थे। वर्ष 2009 में 153बी बटालियन में एसआई जॉइन की थी। 27 मई 11 को बेगूसराय के सबदलपुर गांव की अंजू सिंह से उनकी शादी हुई। बेटी पीहू के जन्म के बाद माड़ीपुर बटलर रोड में किराए के मकान में रहने लगे थे। मोतिहारी सीआरपीएफ यूनिट में 3 साल रहने के बाद 2017 में कूपवाड़ा में इंटेलीजेंस यूनिट में तैनाती हुई। शहीद पिंटू मुजफ्फरपुर में 2014 में भी पदस्थापित रहे। तब तत्कालीन अभियान एसपी के नेतृत्व में उन्होंने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

शहीद पिंटू की पत्नी अर्चना बेटी पीहू और भतीजे के साथ दो साल से किराये के मकान में रह रही थीं। माड़ीपुर स्थित शिक्षक संघ गली में सीआरपीएफ अधिकारी मदन कुमार के घर में किराये पर फ्लैट ले रखा है।  2009 में उनकी पहली पोस्टिंग मोतिहारी में हुई थी। मोतिहारी में पोस्टिंग के कारण पिंटू ने परिवार को मुजफ्फरपुर में ही रखा था। दो साल पहले कश्मीर गए थे।

पिंटू सीआरपीएफ की 92वीं बटालियन में तैनात थे। अपने विनम्र स्वभाव के कारण वे सबसे आसानी से जुड़ जाते थे। वे कश्मीर में भी अपनी तैनाती के दौरान वहां के स्थानीय युवाओं से काफी घुल-मिल गए थे। यही वजह थी कि उन्हें भारत-दर्शन प्रोग्राम के लिए 15 कश्मीरी युवाओं की टीम का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई थी। कुछ ही दिनों पहले वे उन्हें लेकर कोलकाता गए थे।

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