
ताशी नामग्याल।
Kargil War: ‘मैंने जैसे ही उन्हें देखा, इसकी सूचना इंडियन आर्मी (Indian Army) को दे दी थी। मैंने याक 12 हजार रुपये में खरीदा था और मैं उस समय बेहद ही गरीब चरवाह था।’
भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1999 में भीषण कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने दुश्मनों को बुरी तरह से हराया था। पाक ने एलओसी (LoC) पर धोखे से कारिगल के महत्वूपर्ण इलाकों पर कब्जा कर लिया था।
कारगिल क्षेत्र में सर्दियों में कड़ाके की ठंड पड़ती है। दोनों देश हमेशा की तरह इस दौरान अपनी सेनाएं पीछे हटा लेते हैं। लेकिन साल 1999 में भारत ने तो ऐसा किया पर पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया। बताया जाता है कि पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ की जानकारी एक चरवाहे ने भारतीय सेना को दी थी। इस चरवाहे का नाम ताशी नामग्याल है।
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ताशी नामग्याल बताते हैं कि युद्ध से पहले उन्होंने एक नया याक खरीदा था। अगर वो नया-नवेला याक न होता तो शायद मुझे सबसे पहले घुसपैठ का पता नहीं चलता। उन्होंने इस घटना के संबंध में बीबीसी से बातचीत में कहा कि अगर वो नया-नवेला याक न होता तो शायद मैं उसकी तलाश करने भी न जाता और शायद मैं पाकिस्तानी घुसपैठियों को देख भी ना पाता।
उन्होंने बताया, “मैं बाल्टिक सेक्टर में अपने नए याक की तलाश कर रहे था। मेरा याक नया था वह शाम तक घर नहीं लौटा था। शायद वह रास्ता भटक गया था। मैं उसे ढूंढने पहाड़ों पर चढ़ता रहा और मुझे मेरा याक दिख गया था। लेकिन साथ ही मैंने जो देखा वो हैरान कर देने वाला था। मुझे पाकिस्तानी सैनिक हमारे कारगिल क्षेत्र में दिखे। मेरे तो होश ही उड़ गए थे।”
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नामग्याल आगे बताते हैं, “मैंने जैसे ही उन्हें देखा इसकी सूचना इंडियन आर्मी को दे दी थी। मैंने याक 12 हजार रुपये में खरीदा था और मैं उस समय बेहद ही गरीब चरवाह था। शायद याक उस दिन रास्ता न भटका होता तो मैं इंडियन आर्मी को इतनी बड़ी जानकारी न दे पाता।”
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