Kargil War: रिटायर्ड ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने साझा किया अपना अनुभव, ये था पहला टारगेट

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) ने दुश्मनों को बुरी तरह से शिकस्त दी थी। सेना के जवानों ने दिखा दिया था कि भारत मां की जमीन पर आंख उठाने वालों का क्या हाल किया जाता है।

Brigadier Khushal Thakur

फाइल फोटो।

Kargil War: पाकिस्तान के धोखे से शुरू हुआ ये युद्ध भारतीय सेना के पराक्रम से समाप्त हुआ था। युद्ध में ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) खुशाल ठाकुर (Brigadier Khushal Thakur) ने भी हिस्सा लिया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) ने दुश्मनों को बुरी तरह से शिकस्त दी थी। सेना के जवानों ने दिखा दिया था कि भारत मां की जमीन पर आंख उठाने वालों का क्या हाल किया जाता है।

पाकिस्तान के धोखे से शुरू हुआ ये युद्ध भारतीय सेना के पराक्रम से समाप्त हुआ था। युद्ध में ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) खुशाल ठाकुर (Brigadier Khushal Thakur) ने भी हिस्सा लिया था।

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उन्होंने युद्ध के उन दिनों को याद करते हुए अपनी यादें साझा की हैं। 1999 में 26 जुलाई को जब सेना ने आखिरी पाक सैन्य टुकड़ी को वापस लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) की दूसरी ओर खदेड़ा, उस वक्त कुशल 18 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट का हिस्सा थे।

वे बताते हैं, “जब हम द्रास में पहुंचे तो हालात बेहद चुनौतीपूर्ण थे। हमारी रेजीमेंट के जवानों का पहला टारगेट तोलोलिंग पर वापस कब्जा करना था। हमें जानकारी मिली थी कि ऊपर सिर्फ चार से पांच आतंकवादी छिपे हो सकते हैं।”

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 खुशाल ठाकुर (Brigadier Khushal Thakur) आगे बताते हैं, “इस दौरान मुझे और मेरी टीम को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हमने सोचा आतंकवादी कम संख्या में होंगे, लेकिन हमने पाया कि तोलोलिंग पर पाकिस्तान के नॉर्दर्न लाइट इन्फेन्ट्री के 120 जवानों की पूरी कंपनी है। यह खूफिया तंत्र की नाकामी ही कही जा सकती है। हालांकि इस दौरान जब दुश्मनों से भिडंत हुई तो उन्हें धूल चटा दी गई थी।”

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