कारगिल युद्ध: दिन में रेकी होती थी और रात में जंग, ऐसा था पूर्व सैनिक दिनेश कुमार का अनुभव

Kargil War: कारगिल युद्ध में राजपूताना राइफल्स की वीरता बेमिसाल रही थी। कारगिल युद्ध लड़ चुके पूर्व सैनिक दिनेश कुमार ने अपने अनुभव को साझा किया है।

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Kargil War: कारगिल युद्ध में राजपूताना राइफल्स की वीरता बेमिसाल रही थी। कारगिल युद्ध लड़ चुके पूर्व सैनिक दिनेश कुमार ने अपने अनुभव को साझा किया है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान के खिलाफ यह भारत की चौथी जीत थी। इससे पहले 1947, 1965 और 1971 की जंग में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था।

कारगिल युद्ध में राजपूताना राइफल्स की वीरता बेमिसाल रही थी। कारगिल युद्ध लड़ चुके पूर्व सैनिक दिनेश कुमार ने अपने अनुभव को साझा किया है। वे बताते हैं कि कैसे द्रास सेक्टर में उन्होंने और उनके साथियों ने दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे।

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दिनेश कुमार बताते हैं कि ’11 जून, 1999 को यूनिट के बिग्रेड कमांडर एम बी रविंद्रचंद्रन के नेतृत्व में दो-राजपूताना राइफल्स को द्रास सेक्टर में तोलोलिंग पर चढ़ाई का आदेश मिला था। हालांकि उन दिनों हमारी बटालियन कश्मीर के कुपवाड़ा में तैनात थी। दिन में हम सभी प्लानिंग करते थे और रात के गुप्त अंधेरे में दुश्मनों के ठिकानों पर हमला बोला जाता था।’

वे आगे बताते हैं ‘रोशनी देखते ही दुश्मन फायर करता था। बोफोर्स और आरटलरी गन से गोले बरसा कर हमें कवरिंग दी जाती थी। दुश्मन ऊंचाई पर थे जबकि हम निचले एरिया से उनकी तरफ चढ़ाई कर पहुंचते थे। हालांकि इस दौरान जैसे ही दुश्मनों को भनक लगती या शक होता तो हम पर तुरंत फायरिंग हो जाती थी। हम सभी खुद को कवर कर लेते थे। हालांकि कई जवान इस दौरान शहीद भी हुए थे।’

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