कारगिल युद्ध: बिहार रेजिमेंट के हवलदार रतन सिंह ने कई पाक सैनिकों को उतारा था मौत के घाट, ऐसी है इस शहीद की कहानी

युद्ध में जीत दिलाने के लिए भारत के कई जवानों ने जान की कुर्बानी दी। इनमें एक नाम बिहार रेजिमेंट के हवलदार रतन सिंह का भी है।

हवलदार रतन सिंह कार‍गिल युद्ध में शहीद हो गए थे।

युद्ध में जीत दिलाने के लिए भारत के जवानों ने जान की भी कुर्बानी दी। इनमें एक नाम बिहार रेजिमेंट के हवलदार रतन सिंह का भी है। वह कई पाक सैनिकों को मौत के घात उतारते हुए शहीद हो गए थे।

कारगिल में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को जबरदस्त झटका दिया था। पाकिस्तान जिस मकसद से कारगिल क्षेत्र में घुसा था वह बुरी तरह से विफल हो गया। युद्ध 1999 में दो ऐसे देशों के बीच हुआ जो आजादी से पहले एक ही थे। बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ था लेकिन दुश्मनी आज तक बनी हुई है। पाक ने एलओसी पर धोखे से कारिगल के महत्वूपर्ण इकालों पर कब्जा कर लिया।

भारत शांति के साथ इस मसले को हल करना चाहता था लेकिन पाकिस्तान ने भारत के एक वीर जवान के साथ ऐसी बर्बरता की भारत का खून खौल उठा। इसके बाद भारतीय सेना ने ऐसी बहादुरी दिखाई जिसे याद कर दुश्मन देश आज भी थर-थर कांप उठता है। इस युद्ध में जीत दिलाने के लिए भारत के जवानों ने भी जान की कुर्बानी दी। इनमें एक नाम बिहार रेजिमेंट के हवलदार रतन सिंह का भी है। वह कई पाक सैनिकों को मौत के घात उतारते हुए शहीद हो गए थे।

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दरअसल 29 जून 1999 को बिहार रेजिमेंट को पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार भगाने के उद्देश्य से कमान सौंपी गई थी। रतन कुमार सिंह भी इसमें शामिल थे। उन्होंने अपने दस सिपाहियों के साथ बटालिक प्रक्षेत्र में 16470 फीट ऊंचाई पर स्थित जुबार पर्वत शृंखला पर शौर्य का परिचय दिया था।

चुनौती बड़ी होने के बावजूद एक पल भी उनका हौसला नहीं डगमगाया था। उन्होंने युद्ध करते हुए दर्जन से ज्यादा पाकिस्तानी घुससपैठियों को मौत के घाट उतार दिया था। हालांकि इस दौरान वह फी दुश्मन के हमले का शिकार हो गए और वीरगति को प्राप्त हो गए। इस लड़ाई में बिहार रेजिमेंट के दस सैनिक घायल हुए थे। उन्होंने 30 जून से दो जुलाई तक चली भीषण लड़ाई में अपना जो शौर्य दिखाया उसे आज भी याद किया जाता है।

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