
शहीद रमेश थापा के परिवार के लिए की गई सरकार की घोषणाएं सालों बाद भी पूरी नहीं हो पाई हैं। फाइल फोटो।
देश के लिए मर मिटने वाले वीर जवान जब शहीद होते हैं तो उनकी शहादत पर गर्व किया जाता है। उनकी वीर-गाथाएं गाई जाती हैं। उनके परिवार को सांत्वना दिया जाता है। पर, कुछ समय बाद धीरे-धीरे हम उनकी यादों को भूलने लगते हैं। उनके पीछे उनके परिवार की सुध लेने वाला कोई नहीं होता। 20 साल पहले करगिल युद्ध में देहरादून का एक लाल रमेश थापा शहीद हो गया था। करगिल युद्ध में देहरादून के गलज्वाड़ी के रहने वाले शहीद रमेश थापा के परिवार और उनके आश्रितों के लिए सरकार ने उस समय कितनी ही घोषणाएं की थीं। लेकिन सरकार की घोषणाएं 20 साल बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाई हैं।
शहीद रमेश थापा के नाम पर एक सड़क ‘गद्दूवाला मार्ग’ बनाई गई थी। पर उसका भी हाल खराब हो चुका है। शहर से सात किलोमीटर दूर गलज्वाड़ी गांव के रमेश थापा करगिल में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। इनकी शहादत पर पूरे शहर में कई दिनों तक उन्हों श्रद्धांजलि दी गई थी, कैंडल मार्च निकाले गए थे। सरकार ने इनके आश्रितों के लिए नौकरी, पेट्रोल पंप और जमीन देने की घोषणा की। लेकिन, समय बीतने के साथ ही सब कुछ ठंडा पड़ने लगा। सरकार की घोषणाएं आज तक पूरी नहीं हुईं।
घोषणाओं के पूरा दोने का इंतजार करते-करते परिवार वाले भी अब थक गए हैं। पर आज भी उन्हें एक उम्मीद है कि सरकार उनकी मदद करेगी। शहीद रमेश थापा की रिश्तेदार राखी गुरुंग ने बताया कि सालों बाद भी सरकार की घोषणाएं पूरी नहीं हो पाई हैं। इस संबंध में उन्होंने कई बार विधायक से भी बात की। लेकिन समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ। रमेश थापा के भाई शंकर थापा भी सेना में थे। वे हाल ही में सेना से सेवानिवृत्त हुए हैं।
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