Kargil War: कारगिल युद्ध से पहले इंटेलीजेंस एजेंसियों को नहीं मिल पाए थे इनपुट्स, जानें क्या हुआ था

सीमा पर पाकिस्तान की नापाकी गतिविधियों पर देश की टॉप इंटेलीजेंस एजेंसियां को भनक तक नहीं लग सकी थी। उस समय एजेंसी का सीमा पार कोई मजबूत नेटवर्क नहीं था।

Indian Army

फाइल फोटो।

Kargil War: सीमा पर पाकिस्तान की नापाक गतिविधियों पर देश की टॉप इंटेलीजेंस एजेंसियों को भनक तक नहीं लग सकी थी। माना जाता है कि उस समय एजेंसी का सीमा पार कोई मजबूत नेटवर्क नहीं था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) में भारतीय वीर सपूतों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। युद्ध से पहले पाकिस्तानी सेना ने गुपचुप तरीके से सीमा पर मौजूद सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हमारी कई चौकियों पर कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान ने धोखा देकर यह काम किया था और लंबे समय से इसकी प्लानिंग चल रही थी।

सीमा पर इस तरह की गतिविधियों पर देश की टॉप इंटेलीजेंस एजेंसियां (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी रॉ, और आर्मी की अपनी थ्री इन्फेंटरी की इंटेलीजेंस यूनिट) को इसकी भनक तक नहीं लग सकी थी। हालांकि, युद्ध से पहले इन एजेंसियों ने इस बात के संकेत दिए थे कि पाकिस्तान की ओर से विभिन्न सीमाओं पर जेहादियों की घुसपैठ कराई जा सकती है।

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लेकिन यह इनपुट्स इस बात की ओर इशारा नहीं कर रहे थे कि पाकिस्तान इतना बड़ा कदम उठाने जा रहा है। पाकिस्तान ने बेहद ही गुपचुप तरीक से इस काम को अंजाम दिया था। दरअसल, फरवरी महीने में ठंड के चलते कारगिल क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाएं आपसी सहमति पीछे हट जाती हैं।

तत्कालीन पाक सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने सैनिकों को कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों में भेजकर कब्जा करवा दिया था। यानी पूर्व पीएम को गले लगाकर धोखा दिया गया। द्विपक्षीय संबंधों में जो आस जगी थी वह महज कुछ समय के लिए थी।

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रॉ के एजेंट आम तौर पर राजनयिक पासपोर्ट के साथ दूतावासों में तैनात होते हैं। वे दूसरे देशों में तैनात होकर गोपनीय सूचनाएं एकत्रित करते हैं। यह काम बेहद ही चुनौतीपूर्ण होता है। लेकिन माना जाता है कि कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान एजेंसी का सीमा पार कोई मजबूत नेटवर्क नहीं था।

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