कारगिल युद्ध: शुरुआत में पाकिस्तानी सेना का सीमा पार करना घुसपैठ माना गया, बाद में पता चली थी रणनीति

शुरुआत में इसे घुसपैठ माना गया और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन खुफिया तंत्र अनुमान पूरी तरह से गलत निकला था।

Kargil War 1999: शुरुआत में इसे घुसपैठ माना गया और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन खुफिया तंत्र और भारतीय सेना का अनुमान पूरी तरह से गलत निकला था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (kargil war) लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना ने जबरदस्त प्रहार कर दुश्मनों की कमर तोड़ दी थी। सेना के वीर सपूतों का जज्बा और शौर्य ही इस जीत की मुख्य वजह था। हालांकि युद्ध से पहले भारतीय खुफिया तंत्र निश्चित तौर पर पाकिस्तान की इस बड़ी साजिश को भांप नहीं पाया था जो कि हमारी बड़ी नाकामी थी।

शुरुआत में इसे घुसपैठ माना गया और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन खुफिया तंत्र और भारतीय सेना का अनुमान पूरी तरह से गलत निकला था। एलओसी पर इन घुसपैठियों की पूरी खोजबीन की गई। इसके साथ ही रणनीति जानी गई।

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जब भारतीय सेना को पूरा तरह से अहसास हो गया कि पाकिस्तानी सेना बड़े मकसद और बड़े अरमान लेकर भारी संख्या में पहुंची है तो सेना पूरी तरह से तैयारी में जुट गई थी। पाक घुसपैठ की जानकारी एक चरवाहे ने भारतीय सेना को दी थी। चरवाहे ने बताया था कि पाकिस्तानी सेना भारी संख्या में कारगिल में घुस चुकी है।

इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय के तहत दो लाख सैनिकों को मोर्चे पर भेजा। मई से शुरू हुआ यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध में पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन बद्र’ लॉन्च किया था लेकिन इसपर भारत का ‘ऑपरेशन विजय’ पूरी तरह से भारी पड़ा था। इस वजह से कारगिल युद्ध, को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है।

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