Kargil War: बचपन से ही सेना में भर्ती होना था रवींद्र का सपना, शहादत देकर की भारत मां की रक्षा

भारतीय सेना (Indian Army)  के जवान भारत मां की रक्षा के लिए किसी भी हद तक गुजर सकते हैं। ऐसा एक नहीं बल्कि कई मौकों पर देखने को मिल चुका है। सेना के जवान हर हाल में अपने देश की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं।

Kargil War

शहीद रविंद्र सिंह दहिया।

Kargil War: बेहद ही बहादुर माने जाने वाले रवींद्र सिंह दहिया जब शहीद हुए तो उनकी उम्र महज 19 साल थी। उन्होंने आर्मी ज्वॉइन की ही थी और युद्ध में अपनी कुर्बानी दे दी।

भारतीय सेना (Indian Army)  के जवान भारत मां की रक्षा के लिए किसी भी हद तक गुजर सकते हैं। ऐसा एक नहीं बल्कि कई मौकों पर देखने को मिल चुका है। सेना के जवान हर हाल में अपने देश की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। दुश्मन हमारी एक इंच जमीन पर पैर भी रख दे तो जवानों का खून खौल उठता है।

सेना में भर्ती होने वाले हर जवान के भीतर यह जज्बा होता है। ऐसे ही एक जवान थे कारगिल युद्ध (Kargil War) में शहीद हुए हरियाणा के गांव रोहणा निवासी रवींद्र सिंह दहिया। उनका बचपन से सपना था कि वे आर्मी ज्वॉइन कर देश सेवा में अपना जीवन लगा दें।

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उन्होंने अपना यह सपना पूरा किया और देश के शहीदों की सूची में अपना नाम दर्ज करवाया। बेहद ही बहादुर माने जाने वाले रवींद्र सिंह दहिया जब शहीद हुए तो उनकी उम्र महज 19 साल थी। यानी की उन्होंने आर्मी ज्वॉइन की ही थी और युद्ध में अपनी कुर्बानी दे दी।

उन्होंने शहीद होने से पहले एक खत लिखा था। यह खत उन्होंने अपनी मां को लिखा था। उन्होंने इसमें अपनी शादी को लेकर अपने विचारों को साझा किया था। उन्होंने कहा था, “मां अभी रिश्ता मत लेना। मुझे अभी देश की सेवा करनी है।” उनका आखिरी पत्र पढ़कर आज भी परिजनों की आंखों में आंसू आ जाते हैं।

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रवींद्र 6 जून, 1999 को काक्सर हिल्स में हुई लड़ाई में सीने पर गोली खाकर शहीद हो गए थे। चुनौती बड़ी होने के बावजूद एक पल भी उनका हौसला नहीं डगमगाया था। उन्होंने युद्ध करते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को सबक सिखाया था।

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