Kargil War: सैनिकों के लिए हर रात होती थी चुनौतीपूर्ण, दुश्मन को ऐसे बनाया जाता था टारगेट

दुश्मन की एक नजर पड़ते ही ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगती थी। दुश्मनों को रात में टारगेट किया जाता था ताकि उन्हें यह पता न चल सके कि आखिरकार अचानक हमला कहां से हो गया।

Kargil War

Kargil War 1999

Kargil War: दुश्मन की एक नजर पड़ते ही ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगती थी। दुश्मनों को रात में टारगेट किया जाता था ताकि उन्हें यह पता न चल सके कि आखिरकार अचानक हमला कहां से हो गया।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान को हराकर हमारे वीर सपूतों ने दिखा दिया था कि वे किसी भी मुश्किल का सामना कर भारत मां की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

इस युद्ध में सबसे बड़ी चुनौती में से एक चुनौती यह थी कि दुश्मनों की नजर से बचकर किस तरह उनके कैंपों तक पहुंचा जाए। पाकिस्तान सेना ने धोखे कारगिल की सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जगहों पर कब्जा कर लिया था।

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पाक सेना ने वहां अपने कैंप बना लिए थे जिन्हें उखाड़ फेंकना भारतीय सेना का एकमात्र लक्ष्य था। इस लक्ष्य को भेदने में सेना ने रात के समय को चुना था। रात के समय सेना ऊंची पहाड़ियों पर चलती थी ताकि दुश्मनों की नजरों से बचा जा सके।

दरअसल, पाकिस्तानी सेना ऊंचाई वाले इलाकों में थी जबकि भारतीय सेना नीचले इलाकों में थी। दुश्मन की एक नजर पड़ते ही ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगती थी। दुश्मनों को रात में टारगेट किया जाता था ताकि उन्हें यह पता न चल सके कि आखिरकार अचानक हमला कहां से हो गया।

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भारतीय सैनिकों की शहादत के बावजूद पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों को उनसे छीन लिया गया। करीब 2 महीने तक चली ये जंग 26 जुलाई को खत्म हुई जिसे हर साल ‘कारगिल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। भारत शांति के साथ इस मसले को हल करना चाहता था लेकिन पाकिस्तान ने भारत के एक वीर जवान के साथ ऐसी बर्बरता की भारत का खून खौल उठा।

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