Kargil War 1999: …जब गांव वालों ने 20 किलोमीटर चलकर पहुंचाया सेना तक सामान

गांवों के युवाओं ने सेना की इस जरूरत को समझा और उन तक सामान पहुंचाया गया। बताया जाता है कि जवानों तक खाने-पीने का सामान और अन्य कुछ जरूरी सामान पहुंचाया जाता था।

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Kargil War 1999: गांवों के युवाओं ने सेना की इस जरूरत को समझा और उन तक सामान पहुंचाया गया। बताया जाता है कि जवानों तक खाने-पीने का सामान और अन्य कुछ जरूरी सामान पहुंचाया जाता था।

भारत और पाकिस्तन के बीच 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना की मदद के लिए लद्दाख के लोअर लेह गांव और इसके आस-पास के लोग आगे आए थे। इन इलाकों में रहने वाले लोग 20-20 किलोमीटर पैदकर चलकर सेना (Indian Army) तक जरूरी सामान पहुंचाते थे।

सेना के लिए पहाड़ी इलाकों में चलना और रास्ता पता लगाना थोड़ा मुश्किल भरा था। ऐसे में गांवों के युवाओं ने सेना की इस जरूरत को समझा और उन तक सामान पहुंचाया गया। बताया जाता है कि जवानों तक खाने-पीने का सामान और अन्य कुछ जरूरी सामान पहुंचाया जाता था।

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इसके अलावा कई सैनिक रास्ता भटक जाते तो उन्हें उनकी पोस्टों तक छोड़ने के लिए युवा सबसे आगे रहते थे। एक तरह से गांव के युवाओं में देशप्रेम जाग गया था। वह जानते थे कि किस तरह देश के लिए आगे बढ़कर काम किया जा रहा है।

अपनी मिट्टी की रक्षा के लिए ये हमेशा भारतीय सेना की हरसंभव मदद के लिए तैयार रहते हैं। शुरुआत में तो गांव के युवाओं को मदद करने में डर लगा था लेकिन जैसे-जैसे वह इसमें शामिल हुए उनका डर भाग गया और जोश से भरपूर हो जाते थे।

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सेना (Army) की मदद करने में महिलाएं भी पीछे नहीं थीं। महिलाओं द्वारा बनाया गया खाना हमारे वीर सपूतों तक पहुंचाया जाता था। युद्ध के दौरान जवान भूखे न रहे और घर की याद ना इसलिए महिलाएं अपने आर्मी के इन भाईयों को खाना भेजती थीं।

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