
करगिल विजय दिवस: करगिल में कैप्टन विक्रम बत्रा ने ‘ये दिल मांगे मोर’ कह कर प्वाइंट 5140 पर विजय हासिल करने का सिग्नल दिया था। इस चोटी को जीतने के लिए राइफलमैन मेहर सिंह ने भी अपनी पराक्रम का परिचय दिया था। इस युद्ध में वीर-चक्र हासिल करने वाले नायब सूबेदार मेहर सिंह की यूनिट 1999 में सोपोर में तैनात थी। ब्रिगेड कमांडर ने अचानक यूनिट को करगिल युद्ध में शामिल होने का आदेश दिया। 6 कमांडिंग ऑफिसर का सैनिक सम्मेलन 12 जून को हुआ तब राइफलमैन मेहर को पता चला कि उन्हें तोलोलिंग के आगे प्वाइंट 5140 के ऊपर कब्जा करना है। यूनिट द्रास पहुंची तो कैंप पर पाकिस्तान की आर्मी ने भारी आर्टी फायर किया।
मेहर सिंह के मुताबिक, हमारे वीर जवानों ने पत्थरों की आड़ में सारी रात गुजारी। उनकी ए और बी कंपनी अपने टास्क को पूरा कर आगे बढ़ चली तो कमांडिंग ऑफिसर ले. कर्नल योगेश कुमार जोशी ने उनके कंपनी कमांडर कैप्टन विक्रम बत्रा को प्वाइंट 5140 पर कब्जा करने का निर्देश दिया। कंपनी कमांडर कैप्टन विक्रम बत्रा ने कंपनी को एकत्र किया और कहा, ‘डेल्टा कंपनी के बहादुर जवानों आज यह मौका आ गया है, जिसका हमें इंतजार था। अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए हमें खून भी बहाना पड़े तो भी हमारी डेल्टा कंपनी प्वाइंट 5140 के ऊपर कब्जा करेगी।’
डेल्टा कंपनी ने 19 जून, 1999 को सुबह चार बजे तोलोलिंग पहाड़ी से चढ़ना शुरू किया। एक सेक्शन को लेकर मेहर सिंह पाकिस्तानी बमबारी के बीच रात भर चलते हुए सुबह चार बजे दुश्मन के बंकर तक पहुंचे। वहां पर हमारे जांबाज बंकर में मौजूद पाकिस्तानी सैनिकों पर दुर्गा मां की जयकार बोलते हुए टूट पड़े। दुश्मन के साथ गुत्थम-गुत्था की लड़ाई हुई। जवानों ने पाकिस्तानी आर्मी के 6 सैनिकों को मारकर प्वाइंट 5140 पर कब्जा कर लिया। पोस्ट पर कब्जा करने का मैसेज कैप्टन विक्रम बत्रा ने ले. कर्नल वाइके जोशी को ‘ये दिल मांगे मोर’ कहकर दिया था।
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