राजकीय सम्मान के साथ हुई झारखंड के लाल कुलदीप उरांव की विदाई, आतंकियों से लोहा लेते हुए थे शहीद

कश्मीर के मालबाग में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हुए जवान कुलदीप उरांव का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके घर पहुंचा। वो झारखंड के साहेबगंज के रहने वाले थे। कुलदीप सीआरपीएफ की 118 वीं बटालियन में तैनात थे।

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शहीद कुलदीप उरांव का अंतिम संस्कार।

कश्मीर के मालबाग में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हुए जवान कुलदीप उरांव का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके घर पहुंचा। वो झारखंड के साहेबगंज के रहने वाले थे। कुलदीप सीआरपीएफ की 118 वीं बटालियन में तैनात थे। घटना की जानकारी मिलने के बाद से ही उनके घर पर मातम पसरा था। उनके पार्थिव शरीर को हेलीकॉप्टर द्वारा जैप-9 ग्राउंड में उतारा गया।

सीआरपीएफ के जवानों ने शहीद को सलामी दी। इस दौरान जिले के उपायुक्त वरुण रंजन, पुलिस अधीक्षक अनुरंजन किस्पोट्टा, डीआईजी नरेंद्र कुमार सिंह, राजमहल विधायक अनंत ओझा समेत कई बड़े अधिकारी मौजूद रहे। इससे पहले शुक्रवार को रांची में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। कुलदीप उरांव का जैप-9 परिसर के पास राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

शहीद कुलदीप उरांव साहिबगंज जिले के आजादनगर, जिरवाबड़ी वार्ड नं 12 के रहने वाले थे। कुलदीप सीआरपीएफ की क्विक एक्शन टीम के सदस्य थे जो फ़िलहाल श्रीनगर में पोस्टेड थे। उनका पूरा परिवार पुलिस और सेना से ही संबंध रखता है। पिता घनश्याम पुराण उरांव सीआरपीएफ की 190वीं बटालियन से 2007 में रिटायर्ड हुए थे।

शहीद उरांव की पत्नी बंदना उरांव भी कोलकाता पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं। भाई प्रदीप उरांव का भी सेना में चयन हुआ था लेकिन पेट के ऑपरेशन के बाद उन्हें वापस भेज दिया गया। कुलदीप उरांव की बहाली जनवरी 2001 में सीआरपीएफ में हुई थी। और हाल ही में उन्हें प्रोन्नति दी गई थी।

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