India Pakistan War 1971: भारतीय सेना का ‘यहूदी योद्धा’, जिसने सरेंडर में निभाई अहम भूमिका

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध के दौरान 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने सरेंडर किया था। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) ने बांग्लादेश की आजादी में अहम भूमिक निभाई थी।

General JFR Jacob

भारतीय सेना के पूर्वी कमान के स्टाफ ऑफिसर मेजर जनरल जेएफआर जैकब।

India Pakistan War 1971: पूर्वी कमान के स्टाफ ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल जैक फराज राफेल जैकब (General JFR Jacob) बड़ी ही बखूबी से पाकिस्तानी फौज के कमांडर जनरल नियाजी को मना लिया था। 

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़े गए युद्ध के दौरान 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने सरेंडर किया था। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) ने बांग्लादेश की आजादी में अहम भूमिक निभाई थी। पाकिस्तान को युद्ध में भारी नुकसान झेलना पड़ा था।

युद्ध में सरेंडर के दौरान भारतीय सेना के एक ‘यहूदी योद्धा’ ने अहम भूमिका अदा की थी। दरअसल, पाकिस्तानी फौज के कमांडर जनरल नियाजी को मनाने की जिम्मेदारी भारतीय सेना के पूर्वी कमान के स्टाफ ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल जैक फराज राफेल जैकब (जेएफआर जैकब) को दी गई थी।

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जैकब (1923 –13 जनवरी 2016) जिन्हें मुख्यतः उनके नाम के प्रथम अक्षरों जेएफआर (General JFR Jacob) के नाम से ही जाना जाता है। 1923 में जनरल जैकब कोलकाता के एक धार्मिक यहूदी परिवार में पैदा हुए थे। पाकिस्तान की इतनी भारी-भरकम फौज को आत्मसमर्पण के लिए तैयार करना कोई आसान काम नहीं था।

लेकिन उन्होंने बड़ी ही बखूबी तरीके से पाकिस्तानी फौज के कमांडर जनरल नियाजी को मना लिया था। चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ सैम मानेकशॉ ने ही उन्हें जनरल नियाजी को मनाने की जिम्मेदारी दी थी।

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पाकिस्तान को भी इस बात का आभास हो चुका था कि अगर वह सरेंडर नहीं करेंगे तो भारतीय सेना उनसे बहुत कुछ छीन लेगी। पाकिस्तान ने भी मामले को ज्यादा देर नहीं खींचा और उनकी सेना ने सरेंडर कर अपनी हार को औपचारिक तौर पर मानकर दुनिया के सामने भारत की जीत की इबादत लिख दी थी।

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19 साल की उम्र में आर्मी ज्वाइन करने वाले जैकब ने बांग्लादेश युद्ध पर ‘सरेंडर एट ढाका- एक देश का जन्म’ नाम की किताब भी लिखी है। इस किताब में जैकब ने युद्ध के दौरान किस तरह पाकिस्तान से सरेंडर करवाया गया था, इसका पूरा जिक्र किया गया है।

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