आतंकियों के छक्के छुड़ा शहीद हुए थे रंजीत, परिजनों को सरकारी वादे पूरे होने का है इंतजार

एक जवान ने देखा कि नियंत्रण रेखा के करीब 8 किलोमीटर दूर हसमत पूरा क्षेत्र में कुछ आतंकवादी छिपे हुए हैं। सेना के जवानों ने इन आतंकियों को चारों तरफ से घेर लिया। खुद को घिरा महसूस करते ही आतंकवादियों ने पुलिस पर गोले बरसाने शुरू कर दिए।

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22 मार्च, 2018 को शहीद हुए थे रंजीत खल्को। फाइल फोटो।

22 मार्च 2018, दिन गुरुवार। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा के घने जंगलों में करीब 48 घंटे से आतंकवादियों के साथ सेना की मुठभेड़ चल रही थी। इस दौरान एक जवान ने देखा कि नियंत्रण रेखा के करीब 8 किलोमीटर दूर हसमत पूरा क्षेत्र में कुछ आतंकवादी छिपे हुए हैं। सेना के जवानों ने इन आतंकियों को चारों तरफ से घेर लिया। खुद को घिरा महसूस करते ही आतंकवादियों ने पुलिस पर गोले बरसाने शुरू कर दिए। इसके बाद पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। इसमें सीआरपीएफ की संयुक्त टीम भी शामिल थी। दोनों तरफ से भीषण मुठभेड़ शुरू हुई और फिर अचानक एक गोली वीर जवान रंजीत खल्को को जा लगी और वह आतंकियों से लड़ते-लड़ते खल्को शहीद हो गए। इस मुठभेड़ में सेना के 3 जवान तथा 2 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। इस मुठभेड़ में देश के बहादुर जवानों ने पांच आतंकवादियों को भी मार गिराया था।

झारखंड के मांडर के रहने वाले रंजीत खल्को को शहीद हुए 1 साल हो गए हैं। उनकी मौत के बाद उनके घर वालों की स्थिति बिल्कुल बदल गई है। यहां बता दें कि रंजीत खल्को ही इस परिवार के एक मात्र कमाने वाले शख्स थे। मांडर चौक पर अभी तक शहीद की आदम कद प्रतिमा स्थापित नहीं की जा सकी है और ना ही स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई अहम कदम उठाया गया है। शहीद के परिवार को स्थानीय विधायक गंगोत्री कुजूर ने राज्य सरकार की तरफ से ₹10,00000 का चेक तो दे दिया परंतु यह स्थाई उपाय नहीं है। उनके परिजनों का अब भी मानना है कि उनके परिवार को सहायता उस अनुपात में नहीं पहुंचाया गया है जिस अनुपात में पहुंचना चाहिए। राज्य सरकार ने शहीद परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने का वादा भी किया था जो अभी तक प्रक्रियाधीन है। वहीं राज्य सरकार ने कुछ जमीन देने की भी बात इस परिवार से कही थी यह भी कार्य प्रक्रियाधीन है ।

कविता लिखने, गिटार बजाने का शौक एवं हमेशा संगीत गुनगुनाने की आदत रंजीत खल्को को कम उम्र से ही रही। हंसते और हंसाते रहने वाले रंजीत खल्को 14 अप्रैल, 2018 को घर आने वाले थे और उसके बाद उनकी शादी होने वाली थी। लेकिन अब यह जवान अपने घरवालों और पूरे देशवासियों की यादों में अमर हो चुका है।

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