गुमला पहुंचा शहीद का शव, पिता ने शहादत को झारखंड का सम्मान बताया

भारत पाकिस्तान एलओसी लाइन पर शहीद हुए झारखंड के गुमला के जवान संतोष गोप का पार्थिव शरीर 14 अक्टूबर की शाम रांची पहुंचा। एयरपोर्ट पर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, सेना के अधिकारी, सूबे के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी, विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव, सुदर्शन भगत, रांची के डीसी सहित कई लोगों ने शहीद को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

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भारत पाकिस्तान एलओसी लाइन पर शहीद हुए झारखंड के गुमला के जवान संतोष गोप का पार्थिव शरीर 14 अक्टूबर की शाम रांची पहुंचा।

भारत पाकिस्तान एलओसी लाइन पर शहीद हुए झारखंड (Jharkhand) के गुमला के जवान संतोष गोप का पार्थिव शरीर 14 अक्टूबर की शाम रांची पहुंचा। एयरपोर्ट पर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, सेना के अधिकारी, सूबे के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी, विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव, सुदर्शन भगत, रांची के डीसी सहित कई लोगों ने शहीद को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

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शहीद जवान संतोष मुर्मू

इस दौरान पूरे परिसर का माहौल गमगीन था। स्थानीय लोग हाथों में तिरंगा लेकर भारत माता के लाल की कुर्बानी को सलाम कर रहे थे और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे। लोगों में भारत के लाल के जाने का गम जरूर था। लेकिन सीना भी चौड़ा हो रहा था कि भारत की रक्षा करते हुए Jharkhand का बेटा शहीद हो गया। मौके पर Jharkhand की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने कहा, ‘यह बहुत दुख भरी घड़ी है और हमारा जवान अपनी जबाज़ी दिखाते हुए शहीद हुवा है। हमें गर्व है ऐसे जवानों पर और देश के लाल पर।’ वहीं, लोहरदगा के सांसद सुदर्शन भगत ने कहा, ‘शहीद होना फख्र की बात है और हमारे सैनिकों द्वारा पाकिस्तान को माकूल जवाब दिया जा रहा है।’

शहीद के बड़े भाई ने कहा, ‘मेरा भाई शहीद हुआ है, यह Jharkhand के लिए फक्र की बात है। अगर मौका मिला तो मैं भी भारत माता की सेवा करना चाहूंगा।’ संतोष की मां के मुताबिक, उनका बेटा जून में जब घर आया था तब उसने शादी के लिए लड़की ढूढ़ने की बात कही थी। इसके लिए परिवार के लोग तैयारी भी कर रहे थे। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। इस घटना की सूचना मिलने के बाद पूरे जिले में मातम का माहौल बन गया था और अभी भी स्थिति गमगीन है। परिवार के लोगों को अपने लाल को खोने का गम सता रहा है, लेकिन इस बात पर गौरव भी है कि उनके घर का लाल भारत माता की सुरक्षा में अपनी जान की कुर्बानी दे दी।

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Jharkhand के गुमला जिला के बसिया प्रखंड का ममरला गांव आज अपने वीर बेटे संतोष गोप की शहादत के कारण इतिहास के पन्नो में अंकित हो गया। इस गांव को भले ही पहले लोग नहीं जानते थे, लेकिन संतोष गोप की शहादत को याद कर पूरा देश इस गांव को जान गया है। भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए 2012 में रांची में परीक्षा पास करने के बाद संतोष गोप की पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में हुई थी। 12 अक्टूबर की रात में पाकिस्तान की ओर से सीजफायर का उल्लंघन करते हुई गोलीबारी में संतोष गोप को गोलियां लगी थीं। अस्पताल में चिकित्सकों ने संतोष की जान बचाने की काफी कोशिश की। इसकी जानकारी परिवार के लोगों को रात में ही मिल गई थी।

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संतोष के चचेरे भाई नीलेश्वर गोप ने बताया कि उन्हें रात में ही भाई की शहादत की सूचना मिल गई थी। उन्हें बताया गया कि संतोष के घायल होने के बाद उसे अस्पताल में ले जाकर बचाने की कोशिश हुई, लेकिन डॉक्टर्स उसे नहीं बचा पाए। वहीं संतोष की मां के मुताबिक, बेटा नौकरी में जाने के बाद काफी खुशी था। उसने गुमला शहर में घर के निर्माण के लिए जमीन भी खरीदी, जिसपर निर्माण कार्य चल रहा है। संतोष की शहादत की खबर सुनने के बाद उसके पिता जितु गोप कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थे।

संतोष के बड़े पिता ने बताया कि संतोष जब आर्मी में बहाल हुआ तब परिवार के लोग बहुत खुश हुए। इससे संतोष के परिवार की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया। लेकिन अचानक ऐसी घटना घट जाने से उन्हें काफी दुख है। संतोष की भाभी ने कहा ‘वह अक्सर बात कर परिवार का हाल समाचार लेता रहता था। उसने 11 अक्टूबर को भी फोन पर बातचीत की थी। वह नए साल में घर आने की बात कह रहा था।’

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