रिटायर्ड भारतीय पायलट जेएल भार्गव अपने परिवार के साथ
India Pakistan War 1971: रिटायर्ड भारतीय पायलट जेएल भार्गव (J L Bhargava) भी इस जंग में युद्धबंदी बना लिए गए थे। उन्होंने युद्ध के दौरान जो पीड़ा सही उसका अनुभव साझा किया है।
1971 में लड़े गए युद्ध में पाकिस्तान को एक पल भी ऐसा महसूस नहीं होने दिया गया था कि वो भारत के खिलाफ जीत भी सकता है। यह युद्ध बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना (Indian Army) के सामने सरेंडर कर दिया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 हुए इस युद्ध में भारतीय सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया था। युद्ध के दौरान इन युद्धबंदियों को बुरी तरह से प्रताड़ित किया गया था।
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युद्ध के दौरान युद्धबंदी (War Prisoner) बनाए गए सैनिकों के साथ जेनेवा एक्ट के तहत बुरा बर्ताव नहीं किया जा सकता। लेकिन पाकिस्तान इन नियमों को ताक पर रखकर जबरदस्त प्रताड़ना देता रहा था।
रिटायर्ड भारतीय पायलट जेएल भार्गव (J L Bhargava) भी इस जंग में युद्धबंदी बना लिए गए थे। उन्होंने युद्ध के दौरान जो पीड़ा सही उसका अनुभव साझा किया है। वे बताते हैं कि युद्ध के दौरान वे लड़ाकू विमान सहित दुश्मन की सीमा में चले गए। गोली लगने से उनका प्लेन क्रैश हो गया और वे पैराशूट की सहायता से कूद गए।
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रिटायर्ड भारतीय पायलट जेएल भार्गव (J L Bhargava) आगे बताते हैं, “मैं पाकिस्तान के रेतीले धोरों में थे और प्यास से गला बुरी तरह से सूख चुका था। मैंने किसी तरह वहीं पानी की व्यवस्था की थी। मैं भारतीय सीमा में दाखिल होने के लिए करीब 7 किलोमीटर पैदल चल चुका था, लेकिन गांव के लोगों ने शक के आधार पर मुझे पकड़ लिया। इसके बाद पाकिस्तानी सेना आई तो मुझे अपनी पहचान बतानी पड़ी। मैंने बताया कि मेरा विमान गोली लगने के बाद क्रैश हो गया जिसके बाद में पाक सीमा में दाखिल हुआ हूं।”
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