एयर कमोडोर जे एल भार्गव ने दुश्मनों से 12 घंटे तक छुपाई थी अपनी पहचान, पढ़ें इस युद्ध बंदी सैनिक की कहानी

पूर्व सैनिक, जो पिछले युद्धों में पाकिस्तान में युद्ध बंदी के रह चुके हैं। एयर कमोडोर जे एल भार्गव भी उन्हीं सैनिकों में एक हैं जो प्रिजनर ऑफ वॉर रह चुके हैं। वे 1971 के युद्ध में 1 साल तक पाकिस्तान में बंदी रहे थे।

J L Bhargav

1971 युद्ध में पाकिस्तान द्वारा बंदी बनाए गए एयर कमोडोर जे एल भार्गव

एयर कमोडोर जे एल भार्गव (J L Bhargav) भी उन्हीं सैनिकों में एक हैं जो प्रिजनर ऑफ वॉर रह चुके हैं। वे 1971 के युद्ध में 1 साल तक पाकिस्तान में बंदी रहे थे।

भारत के एयर स्ट्राइक (Air Strike) की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी ने भारत के वायु-क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश की थी। भारतीय वायुसेना ने इसका जवाब दिया। इन सब में पाकिस्तान का F-16 और भारत का एक मिग-21 प्लेन क्रैश हो गया। फिर पाकिस्तान ने बताया कि इंडियन एयरफोर्स के विंग कमांडर अभिनंदन उसके कब्जे में चले गए। पर दो दिनों के बाद ही वे अपने वतन वापस लौट आए।

कई पूर्व सैनिक हैं जो पिछले युद्धों में पाकिस्तान में युद्ध बंदी रह चुके हैं। एयर कमोडोर जे एल भार्गव (J L Bhargav) भी उन्हीं सैनिकों में एक हैं जो प्रिजनर ऑफ वॉर रह चुके हैं। वे 1971 के युद्ध में 1 साल तक पाकिस्तान में बंदी रहे थे।

एयर कमोडोर जे एल भार्गव के एयरक्राफ्ट HF-24 ने 5 दिसंबर 1971 को बाड़मेर से उड़ान भरी। उनका विमान पाकिस्तान की सीमा में क्रैश हो गया। भार्गव ने बताया कि वे समय रहते जहाज से बाहर निकल गए थे। जमीन पर उतरने के बाद सबसे पहले उन्होंने सर्वाइवर किट को निकाला और अपने सूट को झाड़ियों के नीचे गाड़ दिया। अपनी घड़ी का समय पाकिस्तान के समय के हिसाब से सेट किया और पैदल ही चलना शुरू कर दिया।

भार्गव ने बताया कि इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए पायलटों को खास ट्रेनिंग दी जाती है। उन्हें एक सर्वाइवर किट दी जाती है। जिसमें एक पिस्टल और कुछ पाकिस्तानी करेंसी भी होती है। करीब 12 घंटे तक भार्गव को कोई पहचान नहीं पाया। वो खुद को पाकिस्तान एयर फोर्स का पायलट मंसूर अली बताते और सबूत के तौर पर पाकिस्तानी करेंसी दिखाते रहे।

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काफी थके होने के कारण वे खेत की एक पगडंडी पर सो गए। कुछ राहगीर उन्हें अपने वतन का समझकर अपने साथ ले गए। भार्गव (J L Bhargav) जिस गांव में थे, वहां के स्कूल मास्टर को उन पर शक हो गया। उसने फ्लाइट लेफ्टिनेंट रहे भार्गव से उनके घर का पता पूछा। उन्होंने अपने पता रावलपिंडी बताया। फिर उसने पूछा  कि रावलपिंडी में कहां से? तो जे एल भार्गव ने जवाब दिया- माल रोड।

इसके बाद उसने भार्गव को उलझाने की कोशिश की और उनसे झूठ कहा कि वे भारत के एक गांव में हैं। भार्गव ने भी होशियारी दिखाते हुए उससे रिक्वेस्ट किया कि उन्हें पाकिस्तान वापस जाने दे। इससे मास्टर को उनके पाकिस्तानी होने का यकीन हो गया। उसने कहा वे पाकिस्तानी सीमा में ही हैं।

लेकिन तब तक पाकिस्तानी रेंजर्स आ चुके थे। उन्होंने भार्गव से कलमा पढ़ने को कहा। वे नहीं पढ़ सके और पकड़े गए। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और पाकिस्तानी सेना के हवाले कर दिया गया।

एक महीने के बाद पाकिस्तान ने भार्गव के कब्जे में होने की बात स्वीकार की। अधिकारिक फुटेज भी जारी किए। जिसके बाद इंटरनेशनल एजेंसियों ने मामले में दखल दिया। एक साल पाकिस्तान की हिरासत में बिताने के बाद भार्गव वापस आए थे। भार्गव ने बताया कि हिरासत के दौरान उन्हें काफी यातनाएं भी दी गईं।

पाकिस्तानी आर्मी सोने नहीं देती थी। हमेशा सवाल पूछते रहते थे। हर बार ना कहना भी मुश्किल होता था। जब वे उनसे स्क्वॉड्रन के साथियों के बारे में पूछते थे तो वे अपने भाईयों और रिश्तेदारों के नाम बताते थे। वे ठीक वहीं नाम दूसरे लोगों के सामने भी दोहराते थे। जब उन्होंने पूछा कि स्क्वाड्रन का बेस्ट पायलट कौन था, तो भार्गव (J L Bhargav)  ने जवाब दिया कि आपके सामने खड़ा है।

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भार्गव ने बताया कि कई वर्षों तक उन्हें यातनाएं झेलनी पड़ी थीं। इस दौरान वे स्पाइन इंजरी का शिकार हो गए। भयंकर दर्द की वजह से उनका चलना फिरना मुश्किल हो गया था। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उनका कहना है कि वतन लौटने के बाद वे फिर एयरफोर्स का जहाज नहीं उड़ा पाए, जो आज भी उनके दिल में मलाल है। भार्गव ने कहा कि लड़ाई के समय में प्लेन क्रैश होने के बाद पायलट जमीन पर तो सुरक्षित आ जाता है, लेकिन भीड़ से बच पाना बहुत मुश्किल होता है।

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एयर कमोडोर भार्गव के मुताबिक, 1965 की जंग के दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट हुसैन का विमान भारतीय सीमा में ही क्रैश हो गया। हुसैन सुरक्षित बाहर निकल गए थे। लेकिन भीड़ को उनके नाम से पाकिस्तानी होने का संदेह हुआ। भीड़ ने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी। बाद में सच्चाई पता चलने पर वही भीड़ उन्हें खून देने के लिए जालंधर कैंटोनमेंट भी गई। यही हाल अभिनंदन के विमान के साथ क्रैश हुए पाकिस्तानी विमान के पायलट शहजाजुद्दीम का हुआ। जिसमें उन्होंने अपनी जान गंवा दी।

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