ITBP: हिमालय पर तिरंगा लहराने वाले जवान, कई खेलों में भी बढ़ा चुके हैं देश का मान

Indo-Tibetan Border Police यानी (ITBP), भारत-तिब्बत सीमा की रखवाली करने वाले ये बहादुर जवान जब हिमालय की चोटियों पर तिरंगा फहराते हैं तो सारा आकाश इन्हें गर्व से निहारता है।

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ITBP का आदर्श वाक्य है- ‘शौर्य,दृढ़ता,कर्मनिष्ठा’ जिससे वो कभी पीछे नहीं हटते। यह पुलिस फोर्स गृह मंत्रालय के अधीन आता है।

Indo-Tibetan Border Police यानी (ITBP), भारत-तिब्बत सीमा की रखवाली करने वाले यह बहादुर जवान जब हिमालय की चोटियों पर तिरंगा फहराते हैं तो सारा आकाश इन्हें गर्व से निहारता है। आज हम भारत के इस खास अर्द्धसैनिक बल यानी आईटीबी के बारे में आपको बताएंगे। ये जवान सीमा पर विपरित परिस्थितियों में हमारे लिए अपनी जान हथेली पर रख देश के एक-एक इंच जमीन की सुरक्षा कर रहे हैं।

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (ITBP) की स्थापना 24 अक्टूबर, 1962 को हुई थी। आज यह फोर्स लद्दाख में काराकोरम दर्रे से अरुणाचल प्रदेश में Jachep ला तक देश की सीमा की सुरक्षा में तैनात है। 

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इनके पराक्रम का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यहां बने चौकियों की ऊंचाई भारत-चीन सीमा के पश्चिम-मध्य में 9,000 फीट और पूर्वी क्षेत्र में 18,700 फीट है। दुर्गम हिमालय की शिलाओं पर तैनात रहने वाले इस पुलिस फोर्स को हिमवीर जवान भी कहा जाता है।

आए दिन बर्फीले तूफानों से इन वीरों की टक्कर होती रहती है, लेकिन विपरित परिस्थितियों में डटकर रहने वाले इन जवानों की वीरता अपने आप में अद्भुत है। ITBP का आदर्श वाक्य है- ‘शौर्य,दृढ़ता,कर्मनिष्ठा’ जिससे वो कभी पीछे नहीं हटते। यह पुलिस फोर्स गृह मंत्रालय के अधीन आता है। अब जरा एक नजर डालते हैं इनके बेहतरीन कामों पर-

– भारत-तिब्बत सीमा की सुरक्षा और रखवाली करना

– सीमा के आस-पास रहनेवाले लोगों की सुरक्षा करना

– महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों का निर्वहन और आपदा प्रबंधन आदि करना

– इस सेना ने 1965 में भारत-पाक युद्ध में हिस्सा लिया था

– 1971 के युद्ध में इसकी दो बटालियनों ने श्रीनगर और पुंछ क्षेत्र में घुसपैठियों के ठिकानों का पता लगाने और उन्हें ध्वस्त करने के लिए खास ऑपरेशन को अंजाम दिया था।

शून्य से भी 45 डिग्री नीचे के पारे में चिलचिलाती सर्दीली जगहों, अथाह घाटियों, दुर्गम गड्ढों, अंधियारी नदियों, खतरनाक ग्लेशियरों, पथरीली ढालों और अदृश्य प्राकृतिक खतरों के बीच आईटीबीपी के जवान और अधिकारी अपने सेवा काल का एक बड़ा हिस्सा बिताते हैं।

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जवानों के लिए सीमा पार के खतरों से निपटने से कहीं अधिक मुश्किल है ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में खुद को जिंदा रख पाना। लेकिन ये जांबाज इन मुश्किल परिस्थितियों में भी डट कर खड़े हैं।

आईटीबीपी (ITBP) के जवानों ने विभिन्न खेलों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोहण में इसने अपनी मिसाल स्थापित की है। ऐवरेस्ट (5 बार) और कंचनजंघा की चोटियों सहित इस बल ने 165 से भी अधिक विश्वस्तरीय चोटियों पर तिरंगा लहराया है। भारत के सर्वोच्च शिखर नंदा देवी, हिमालय में माउंट कामेत और ईरान और अमेरिका की पर्वत चोटियां भी इस सूची में शामिल हैं।

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स्कीइंग इस बल की खासियत है। सालों से इस खेल में राष्ट्रीय चैंपियन रहे आईटीबीपी ने साल 1981 में कामेत की चोटी से नीचे की ओर सबसे पहले स्कीइंग की थी। रिवर राफ्टिंग में भी आईटीबीपी के जवानों ने अपनी खास पहचान बनाई है। साल 1991 में अरुणाचल प्रदेश के जैलिंग से बांग्लादेश की सीमा तक ब्रह्मपुत्र नदी की तेज धाराओं को बीच इस बल के जवानों ने 1,100 किलोमीटर लंबा सफर तय किया था।

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