1967 में चीनी सेना का भारतीय जवानों से हुआ था सामना, इस तरह मच गई थी खलबली

1967 में भारत और चीन के बीच संबंध पहले से तनावपूर्ण थे। नाथू ला से सेबु ला दर्रे के साथ सीमा पर कंटीले तार लगाने से चिढ़कर चीनियों ने भारतीय जवानों के साथ धक्का-मुक्की की थी। 

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Indo China Relation: 1967 में भारत और चीन के बीच संबंध पहले से तनावपूर्ण थे। नाथू ला से सेबु ला दर्रे के साथ सीमा पर कंटीले तार लगाने से चिढ़कर चीनियों ने भारतीय जवानों के साथ धक्का-मुक्की की थी। 

भारत और चीन के बीच 1962 में युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। चीन हमेशा से विस्तारवाद की नीति पर चलता आया है। वह दूसरे देश की जमीन को बलपूर्वक धोखे से अपने कब्जे में करने की फिराक में रहता है। जमीन हो या फिर समुद्र चीन ने हमेशा धोखाधड़ी की है।

1962 में हार के बाद 1967 में चीनी और भारतीय सेना के बीच टकराव हुआ। हालांकि दोनों देशों के बीच युद्ध नहीं हुआ था लेकिन टकराव भयंकर हुआ था। 1967 में नाथू ला और चाओ ला दर्रा में हुई लड़ाइयों ने भारत-चीन की राजनीति को हमेशा के लिए बदल दिया।

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1967 में भारत और चीन (China) के बीच संबंध पहले से तनावपूर्ण थे। नाथू ला से सेबु ला दर्रे के साथ सीमा पर कंटीले तार लगाने से चिढ़कर चीनियों ने भारतीय जवानों के साथ धक्का-मुक्की की थी। नाथु ला से सेबु ला तक भारत चीन सीमा को डिमार्केट करने के लिए तार की एक बाड़ लगाई जा रही थी।

भारत ने नाथु ला से सेबू ला तक तार लगाकर बॉर्डर को परिभाषित किया था। इसका पता लगते ही चीन की रातों की नींद उड़ गई थी। चीन भारतीय सेना के इस कदम से बुरी तरह से भड़क गया था। इसके बाद देखते ही देखते नाथू ला दर्रे को भारत से छीनने की कोशिश कर रहे चीनियों के साथ पूरी लड़ाई शुरू हो गई। हालांकि भारतीय सेना की चालाकी और प्रहार के चलते चीन इस इलाके से पीछे हटने पर मजबूर हुआ था।

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