जवानों को मिलती है भूख और प्यास से जूझने के तरीकों की ट्रेनिंग, जानें कितना चुनौतीपूर्ण होता है यह

ट्रेनी जवान का दिनचर्या बेहद व्यवस्त होता है। ट्रेनी सिपाही के लिए हर दिन चुनौतीभरा होता है क्योंकि ट्रेनिंग के दौरान बेहद ही कड़ा अनुशासन फॉलो किया जाता है।

Indian Army Training

फाइल फोटो।

Indian Army Training: ट्रेनी जवान का दिनचर्या बेहद ही व्यवस्त होता है। ट्रेनी सिपाही के लिए हर दिन चुनौतीभरा होता है क्योंकि ट्रेनिंग के दौरान बेहद ही कड़ा अनुशासन फॉलो किया जाता है।

भारतीय सेना (Indian Army) के जवान देश की रक्षा के लिए किसी भी हद तक गुजरने के लिए तत्पर रहते हैं। सेना के जवानों को कुछ इस तरह से ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे वे मुश्किल से मुश्किल हालातों में भी दुश्मनों का डटकर सामना कर सकें। एक जवान को करीब 19 महीने की कड़ी ट्रेनिंग (Indian Army Training) से गुजरना पड़ता है।

ट्रेनिंग के दौरान जवानों को भूख और प्यास से जूझने के तरीकों की ट्रेनिंग दी जाती है। इस दौरान जवानों को एक महीने के जनरल कैंप में रखा जाता है। इस दौरान जवनों को ट्रेनिंग में मुश्किलों का सामना करना सिखाया जाता है।

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जो लोग इस ट्रेनिंग (Indian Army Training) का हिस्सा बनते है उन्हें भूख, प्सास और नींद सबकुछ भूलना होता है। सैनिकों की सहनशक्ति को हर कदम पर चेक किया जाता है। ट्रेनी जवान का दिनचर्या बेहद ही व्यवस्त होता है। ट्रेनी सिपाही के लिए हर दिन चुनौतीभरा होता है क्योंकि ट्रेनिंग के दौरान बेहद ही कड़ा अनुशासन फॉलो किया जाता है।

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भूख और प्यास से जूझने के तरीकों की ट्रेनिंग (Indian Army Training) इसलिए दी जाती है क्योंकि जंग की स्थिति में कई बार जवानों तक खाना नहीं पहुंच पाता या फिर दुश्मनों के रडार पर आने के बाद जवानों को अंडरग्राउंड भी होना पड़ जाता है। इस तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए ही भूख और प्यास से जूझने के तरीकों की ट्रेनिंग दी जाती है।

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