शहीद सैनिकों की विधवाओं को मिलती हैं ये रियायतें, वीर सपूतों के परिवार का रखा जाता है पूरा ख्याल

भारत ने अबतक कुल पांच युद्ध लड़े हैं। इनमें से चार युद्ध पाकिस्तान के खिलाफ तो एक युद्ध चीन के विरुद्ध लड़ा गया था। भारतीय सेना (Indian Army) इन युद्धों में दुश्मनों पर कहर बनकर टूटी थी।

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Indian Army: परिवार को संबंधित शैक्षणिक संस्थान की ओर से लिए जाने वाले शैक्षिक शुल्क और अन्य शुल्क से पूरी छूट मिलती है। वहीं, बोर्डिंग स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले बच्चों के हॉस्टल फीस के लिए अनुदान दिया जाता है।

भारत ने अबतक कुल पांच युद्ध लड़े हैं। इनमें से चार युद्ध पाकिस्तान के खिलाफ तो एक युद्ध चीन के विरुद्ध लड़ा गया था। भारतीय सेना (Indian Army) इन युद्धों में दुश्मनों पर कहर बनकर टूटी थी। युद्ध में नुकसान दोनों देशों को होता है। किसी के कम जवान शहीद होते हैं तो किसी के अधिक। किसी के कम जवान घायल होते हैं तो किसी के ज्यादा। वहीं एक को जीत मिलती है तो दूसरे को हार।

युद्ध में सैनिक शहीद और विकलांग हो जाते हैं। ऐसे में भारत सरकार इनके परिवारों को पूरा ख्याल रखती है, विशेषकर बच्चों की पढ़ाई का पूरा ख्याल रखा जाता है। युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं/युद्ध के दौरान विकलांग होने वाले कर्मी या सेवानिवृत्त कर्मी/सेवारत सैन्यकर्मियों के लिए सरकार शैक्षिक रियायतें देती है।

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परिवार को संबंधित शैक्षणिक संस्थान की ओर से लिए जाने वाले शैक्षिक शुल्क और अन्य शुल्क से पूरी छूट मिलती है। वहीं, बोर्डिंग स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले बच्चों के हॉस्टल फीस के लिए अनुदान दिया जाता है।

किताब-कॉपी और अन्य अध्ययन सामग्रियों पर होने वाला पूरा खर्च सरकार उठाती है। डिग्री पाठ्यक्रम के अलावा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए भी ये रियायतें दी जाती हैं।

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खास बात यह है कि युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं के पुनर्विवाह के उपरांत भी उनके बच्चों को शैक्षिक रियायत दी जाती है। शहीद होने वाले जवान की आखिरी तनख्वाह के बराबर ही पेंशन परिवार को मिलती है। शहीद की पत्नी को हवाई और रेल यात्रा में किराये में रियायत मिलती है।

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