युद्ध में रहना पड़ जाता है भूखा, दुश्मनों को नेस्तनाबूद करना होता है सेना का एकमात्र लक्ष्य

भारतीय सेना (Indian Army) अपने शौर्य और बलिदान के लिए जानी जाती है। सेना के वीर सपूत हर मोर्चे पर दुश्मनों को भेदने के लिए तत्पर रहते हैं। भारतीय वीर सपूतों ने अब तक पांच युद्ध लड़े हैं, जिनमें से एक में ही हार मिली है।

Indian Army

फाइल फोटो।

Indian Army: जवान दुश्मनों के खिलाफ ऐसी जगह पर मोर्चा संभाले रखते हैं, जहां पर खाना पहुंचाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसे में जवानों के पास बिना खाए लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता।

भारतीय सेना (Indian Army) अपने शौर्य और बलिदान के लिए जानी जाती है। सेना के वीर सपूत हर मोर्चे पर दुश्मनों को भेदने के लिए तत्पर रहते हैं। भारतीय वीर सपूतों ने अब तक पांच युद्ध लड़े हैं, जिनमें से एक में ही हार मिली है। जिस युद्ध में हार मिली वह 1962 में चीन के खिलाफ लड़ा गया था। वहीं, अब तक चार युद्ध पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ लड़े गए हैं जिनमें हमें जीत हासिल हुई है।

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भारतीय वीर सपूत युद्ध में कई-कई दिनों तक भूखे रहकर भी लड़े हैं। युद्ध में शामिल हुए कई जवानों ने इस संबंध में अपने अनुभव को साझा किया है। दरअसल, जंग के मैदान में खाने की सप्लाई बाधित हो जाती है। जवान दुश्मनों के खिलाफ ऐसी जगह पर मोर्चा संभाले रखते हैं जहां पर खाना पहुंचाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसे में जवानों के पास बिना खाए लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता।

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हालांकि, भारतीय जवानों का कहना है कि जंग के मैदान में भूख कम ही लगती है। सिर पर एक ही धुन सवार रहती है और वह यह कि भारत मां की हर हाल में रक्षा करनी है। कारगिल युद्ध (Kargil War) का ही उदाहरण लेते हैं। यह युद्ध करीब 60 दिनों तक चला था। इस युद्ध में हमारे जवान बेहद ही ऊंचाई पर लड़े थे। इस दौरान खाने की सप्लाई प्रभावित थी। खाने की कमी के बीच सेना (Indian Army) का हौसला डगमगाया नहीं था।

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