देश की रक्षा के लिए झेलनी पड़ जाती हैं दुश्मन देश की जेल में यातनाएं, देश प्रेम हमारे जवानों के लिए होता है सर्वोपरि

भारतीय सेना (Indian Army) के जवान देश की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहते हैं। हमारे जवान पीठ दिखाकर नहीं आते बल्कि जंग के मैदान में पूरा पराक्रम दिखाते हैं। ऐसा एक नहीं बल्कि कई मौकों पर देखा जा चुका है।

Indian Army

फाइल फोटो।

Indian Army: सैनिकों के साथ जबरन मारपीट के मामले सामने आते हैं। बताया जाता है कि 1971 के युद्ध के दौरान बंदी बनाए गए कई सैनिकों को आज तक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है।

भारतीय सेना (Indian Army) के जवान देश की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहते हैं। हमारे जवान पीठ दिखाकर नहीं आते बल्कि जंग के मैदान में पूरा पराक्रम दिखाते हैं। ऐसा एक नहीं बल्कि कई मौकों पर देखा जा चुका है। कई बार ऐसा होता है कि जंग या किसी ऑपरेशन या फिर गलती से हमारे जवान सीमा के उस पार पहुंच जाते हैं।

ऐसे में दुश्मन देश की सेना उन्हें बंदी बना लेती है। अगर किसी जवान को युद्ध के दौरान बंदी बना लिया जाता है तो उसे युद्धबंदी की संज्ञा दी जाती है। वहीं, युद्ध के बिना भी कई मौकों पर हमारे जवानों को पाकिस्तान ने अपनी जेल में कैदी के तौर पर रखा है।

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ऐसे में सैनिकों के साथ जबरन मारपीट के मामले सामने आते हैं। बताया जाता है कि 1971 के युद्ध के दौरान बंदी बनाए गए कई सैनिकों को आज तक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है। हालांकि, पाकिस्तान कभी भी इस बात को स्वीकार नहीं करता।

पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर आए युद्धबंदियों के मुताबिक, जेल में नंगा करके पीटा जाता है और शरीर को कई जगह से जला दिया जाता है। हर वह प्रताड़ना दी जाती है जिससे जवान अंदर ही अंदर घुट-घुटकर खुद ही प्राण त्याग दें।

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पाकिस्तान ने ऐसा कई मौकों पर किया भी है। कारगिल युद्ध (Kargil War) से पहले ऐसा किया जा चुका है। दरअसल, भारतीय सेना (Indian Army) जाट रेजीमेंट के कैप्‍टन सौरभ कालिया और उनके पांच साथी जवानों को 15 मई 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा जिंदा पकड़ लिया था। सौरभ 22 दिनों तक पाकिस्तान सेना की कैद में रहे और 9 जून, 1999 को पाकिस्तानी सेना द्वारा उनके शव सौंपा गया। शवों के साथ ऐसी बर्बरती की गई थी जिससे हर भारतीय का खून खौल उठा।

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