भारतीय सेना की सबसे पुरानी इन्फेंट्री रेड ईगल डिवीजन, जानें इसकी खासियतें

रेड ईगल डिवीजन (4th infantry division) भारतीय सेना (Indian Army) की सबसे पुरानी इन्फेंट्री मानी जाती है। इसकी खासियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस डिवीजन को सबसे ज्यादा युद्धक पदक भी मिले हैं।

Indian Army

रेड ईगल डिवीजन को भारतीय सेना की सबसे पुरानी इन्फेंटी माना जाता है।

भारतीय सेना (Indian Army) की यह डिवीजन अब तक तीन महाद्वीपों के नौ युद्धक अभियानों में हिस्सा ले चुकी है।  1962,1965 और 1971 के युद्धों में भी इस डिवीजन ने जमकर लोहा लिया।

रेड ईगल डिवीजन (4th infantry division) भारतीय सेना (Indian Army) की सबसे पुरानी इन्फेंट्री मानी जाती है। इसकी खासियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस डिवीजन को सबसे ज्यादा युद्धक पदक भी मिले हैं।

यह डिवीजन 28 सितंबर, 1938 को गठित की गई थी। ब्रिटिश सेना में सभी संरचनाओं के साथ, इसमें मुख्य रूप से ब्रिटिश अधिकारी और निचले रैंक के कुछ भारतीय थे, लेकिन कुछ भारतीय अधिकारी जूनियर रैंक वाले भी थे जैसे कि कप्तान आदि।

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द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसने पूर्वी अफ्रीका (इरिट्रिया और सूडान), सीरिया, उत्तरी अफ्रीका और इटली में अलग-अलग अभियानों में भाग लिया था।

आजादी के बाद से अबतक इस डिवीजन के जवान दो परमवीर चक्र, 20 महावीर चक्र और वीरता के लिए 155 अन्य पदक हासिल कर चुके हैं। वीरता और साहस ही इसकी पहचान है।ृ

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यह डिवीजन अब तक तीन महाद्वीपों के नौ युद्धक अभियानों में हिस्सा ले चुकी है।  1962,1965 और 1971 के युद्धों में भी इस डिवीजन ने जमकर लोहा लिया। यानी द्वितीय विश्वयुद्ध के साथ ही चीन और पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भी दुश्मन को भगा-भगाकर मारा है।

इस डिवीजन के जवानों ने देश की मिट्टी के लिए दुश्मनों को कभी पीठ नहीं दिखाई। चाहे युद्ध का क्षेत्र रहा हो अथवा आपदा की परिस्थितियां डिवीजन के वीर योद्धाओं ने दुश्मन को हमेशा घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था।

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बता दें कि भारतीय सेना (Indian Army) की स्थापना साल 1895 में हुई थी, लेकिन इसे इसकी वर्तमान संरचना आजादी के बाद प्राप्त हुई। भारत में तीनों सेना के सर्वोच्च सेनापति राष्ट्रपति हैं। थल सेना का सर्वोच्च अधिकारी थल सेना प्रमुख होते हैं।

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