
भारतीय सेना की 'कोणार्क कोर' (Konark Corps) ने आज 33वां स्थापना दिवस मनाया।
भारतीय सेना की ‘कोणार्क कोर’ (Konark Corps) ने आज 33वां स्थापना दिवस मनाया। ‘डेजर्ट कोर’ के नाम से आज ही के स्थापित की गई थी। इस अवसर पर देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई।

रेगिस्तान में युद्ध लड़ने में है माहिर: भारतीय सेना की ‘कोणार्क कोर’ (Konark Corps) रेगिस्तान में युद्ध लड़ने की महारत रखने वाली कोर है। आज ही के दिन भारतीय सेना ने ‘डेजर्ट वार’ में अपनी सेना को कुशल बनाने के लिए ‘डेजर्ट कोर’ की स्थापना की थी। दक्षिणी कमान के तहत आने वाली इस कोर का मुख्यालय जोधपुर में स्थापित किया गया।
सूर्य चक्र कोणार्क को बनाया प्रतीक: इस कोर ने सूर्य चक्र कोणार्क को अपने प्रतीक चिह्न के रूप में स्वीकार किया, जो सभी दिशाओं में फैलने वाली सूर्य की किरणों से प्रेरित है। यह उड़ीसा के सूर्य मंदिर से लिया गया। साथ ही सूर्यनगरी के नाम से विख्यात जोधपुर से भी यह चिह्न मेल खाता है। इस प्रतीक चिह्न के कारण इसका नाम ‘कोणार्क कोर’ (Konark Corps) हो गया।
निभाती है मिक्स्ड कोर की भूमिका: ‘कोणार्क कोर’ (Konark Corps) को 12 कोर के नाम से भी जाना जाता है। इस कोर में एक आर्म्ड ब्रिगेड, दो इंफेन्ट्री ब्रिगेड के अलावा इंफेन्ट्री के दो डिवीजन हैं। एक तरह से यह कोर मिक्स्ड कोर की भूमिका में है। युद्ध के समय में यह दुश्मन को आगे बढ़ने से रोकती है।
‘अर्जुन टैंक’ है इस कोर में शामिल: यह कोर दुश्मन पर प्रहार कर उसकी शक्ति को तहस-नहस कर देती है। स्ट्राइक कोर के मोर्चा संभालने तक इसका काम दुश्मन को रोकने का होता है। इस कोर के पास बड़ी संख्या में टैंक है। इसमें देश में ही विकसित ‘अर्जुन टैंक’ भी शामिल है।
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