Indian Army की सबसे घातक फार्मेशन में शुमार है खड्ग कोर, शत्रुओं का सर्वनाश करने में हासिल है महारत

Indian Army Khadag Core: पाकिस्तान सेना के करीब नब्बे हजार जवानों को बंदी बनाकर युद्ध जीतने में इस कोर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह कोर तीन स्ट्राइक कोर में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

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Indian Army Khadag Core: पाकिस्तान सेना के करीब नब्बे हजार जवानों को बंदी बनाकर युद्ध जीतने में इस कोर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह कोर तीन स्ट्राइक कोर में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

भारतीय सेना (Indian Army) में अलग-अलग कोर हैं, जिनका इस्तेमाल परिस्थिति और जगह के मुताबिक होता है। भारतीय सेना के सभी कोर बेहद घातक हैं, लेकिन एक कोर ऐसी है जिसका नाम सुनकर दुश्मन थर्र-थर्र कांप उठते हैं। इस कोर का नाम ‘खड्ग कोर’ है और यह भारतीय सेना की सबसे घातक फार्मेशन में शुमार है।

इस कोर को शत्रुओं का सर्वनाश करने में महारत हासिल है। नवीनतम तकनीकि के माध्यम से दुश्मन को तेजी से परास्त कर इस कोर के जवान सीमा पार जाकर कहर बरपाने के लिए जाने जाते हैं। यह उत्तर भारत की महत्वपूर्ण स्ट्राइक कोर में से एक है।

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मां काली के प्रमुख अस्त्र ‘खड्ग’ अंबाला स्थित ‘खड्ग कोर’ का प्रतीक चिह्न है। यह शक्ति और बुराई को मिटाने का प्रतीक है। 6 अक्टूबर, 1971 में पश्चिम बंगाल के कृष्णा नगर में ‘खड्ग कोर’ की स्थापना बांग्लादेश मुक्ति अभियान से ठीक पहले हुई थी।

बंगलादेश को पाकिस्तान के चंगुल से आजाद करवाने में ‘खड्ग कोर’ ने अहम भूमिका निभाई। आधुनिक हथियारों से लैस इस कोर को 1971 की जंग के दौरान अहम भूमिका दी गई थी, जिसे इसने बखूबी निभाया गया था। पाकिस्तानी सेना के करीब नब्बे हजार जवानों को बंदी बनाकर युद्ध जीतने में इस कोर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह कोर भारतीय सेना (Indian Army) तीन स्ट्राइक कोर में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

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इस कोर ने देश को दो सेनाध्यक्ष भी दिए हैं। पहले कोर कमांडर तपेशवर नारायण रैना 1 जून, 1975 से लेकर 31 मई, 1978 तक सेनाध्यक्ष रहे। वहीं, जरनल वीके सिंह ने 31 मार्च, 2010 से 31 मई, 2012 तक सेना की कमान संभाली।

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