
फाइल फोटो।
Indian Army: युद्ध में उत्तराखंड के सपूतों ने बहादुरी की मिसाल कायम की थी। इनमें से शहीद हुए लेफ्टिनेंट कर्नल सतीश चंद्र जोशी को वीर चक्र दिया गया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। पाकिस्तान, भारत को कमजोर समझकर जंग के मैदान में उतरा था। लेकिन पाकिस्तान को धूल चटाकर भारत ने जीत हासिल की थी। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों के शौर्य का लोहा पूरी दुनिया ने माना था। युद्ध में भारतीय जवानों ने पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे कर दिए थे।
सेना (Indian Army) जब भी पाक के खिलाफ जंग के मैदान में उतरती है हमेशा फतह हासिल करती आई है। ऐसा ही 1965 के युद्ध में हुआ था। पाकिस्तान को भारत ने इतनी बुरी तरह से हराया था जिसको यादकर वह आज भी थर्र-थर्र कांप उठता होगा।
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इस युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ देवभूमि उत्तराखंड के 253 जवानों ने शहादत दी थी। इनमें से 22 वीर सपूतों को सैन्य सम्मान दिया गया था। दो सैनिकों को महावीर चक्र, 8 वीर चक्र, एक शौर्य चक्र, 6 सेना मेडल और पांच मेंशन इन डिस्पैच उत्तराखंड के शूरवीरों को दिए गए थे।
युद्ध में अपने उत्तराखंड के सपूतों ने बहादुरी की मिसाल कायम की थी। इनमें से शहीद हुए लेफ्टिनेंट कर्नल सतीश चंद्र जोशी को वीर चक्र दिया गया था। वह पाकिस्तान द्वारा बिछाई गई बारूदी सुरंग की चपेट में आकर 12 सितंबर, 1965 को वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
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देवभूमि उत्तराखंड को सैनिकों का प्रदेश भी कहा जाता है। माना जाता है कि राज्य के हर घर से औसत एक आदमी सेना (Indian Army) में है। 1965 ही नहीं बल्कि हर युद्ध में इस राज्य के जवानों ने अपनी छाप छोड़ी है। इन जवानों की शहादत पर आज भी पूरा देश गर्व महसूस करता है।
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