
फाइल फोटो।
War of 1971: युद्ध में शामिल होने वाले Indian Army के सेवानिवृत्त कै. भूपाल सिंह गढ़िया ने युद्ध के दिनों को याद करते हुए कई बातें साझा की हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध में भारतीय जवानों ने अपनी ऐसी छाप छोड़ी थी, जिसे आज भी याद किया जाता है। इस युद्ध में उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के 24 रणबांकुरों ने शहादत दी थी। युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों को बुरी तरह से हराने के बाद भारतीय सेना (Indian Army) का लोहा पूरी दुनिया ने माना था।
युद्ध में शामिल होने वाले Indian Army के सेवानिवृत्त कै. भूपाल सिंह गढ़िया ने युद्ध के दिनों को याद करते हुए कई बातें साझा की हैं। वह बताते हैं कि वह ग्वालियर में रिक्रूट थे। लेकिन जब तक हमें जंग के मैदान में जाने का बुलावा आया, तब तक पाकिस्तान आगरा और ग्वालियर में बम बरसा चुका था। वह हमारे हवाई अड्डों पर लगातार बमबारी कर रहा था। इसके बाद हमें रात में कैंप छोड़ने का आदेश मिला था।
वह बताते हैं हरी वर्दी और गोला बारूद हमें दे दिया गया। इसके बाद 2 प्लाटूनों के कुल 80 जवानों को तिरंगे के सामने शपथ दिलाई गई। इसके बाद दोनों प्लाटूनों ने जंग के मैदान में पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ मोर्चा संभाला। पाकिस्तानी सेना के हर वार को विफल किया गया। इस युद्ध मेरे साथी जवान शहीद हो गए थे। लेकिन हमने फिर भी हार नहीं मानी थी और डटे रहे थे।
ये भी देखें-
वहीं, सेवानिवृत्त हवलदार जगत सिंह खेतवाल बताते हैं कि 11 दिन तक लड़ाई चली थी। 16 दिसंबर का दिन भारतीय सेना (Indian Army) के लिए स्वर्णिम है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और सेनाध्यक्ष सैम मानेकशा की बेहतरीन लीडरशिप के चलते हम युद्ध में जीत हासिल कर सके थे। पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों के घुटने टेक दिए थे।
Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App