पूर्व सैनिक शमशेर सिंह कक्कड़।
War of 1971: युद्ध के दौरान Indian Army के कर्नल अपनी टीम के साथ आगे बढ़ रहे थे। तभी उनका पैर बारूदी सुरंग के नीचे आ गया था। जैसे ही विस्फोट हुआ उनके एक पैर के चिथड़े उड़ गए थे।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध लड़ा गया था। बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़े गए इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारत (Indian Army) के सामने समर्पण किया था। युद्ध में हार के बाद पाकिस्तान को अपना एक प्रांत खोना पड़ा और दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश नाम का देश सामने आया।
युद्ध में हर एक जवान ने अहम भूमिका निभाई। कुछ जवान ऐसे थे जिन्होंने अदम्य साहस का परिचय देते हुए बहादुरी की ऐसी मिसाल पेश की थी जिसे यादकर आज भी सेना के जवानों में जोश भर उठता है।
ऐसे ही एक जवान छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित लालपुर निवासी शमशेर सिंह कक्कड़ भी थे। उन्होंने युद्ध में बुरी तरह से जख्मी होने के बावजूद अपनी ड्यूटी को निभाया था।
दरअसल युद्ध के दौरान कर्नल अपनी टीम के साथ आगे बढ़ रहे थे। तभी उनका पैर बारूदी सुरंग के नीचे आ गया था। जैसे ही विस्फोट हुआ उनके एक पैर के चिथड़े उड़ गए थे। बावजूद इसके उन्होंने अपनी टीम को आगे बढ़ने में मदद की।
युद्ध जीत जाने के बाद उनके पास रिटायरमेंट लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था लेकिन उनके पिता ने उनका हौसला बढ़ाया। पिता ने कहा था कि पैर गंवाया है, पूरा शरीर नहीं। इसके बाद उन्होंने लकड़ी के पैर से काम चलाया और करीब 20 साल तक सेना में अपनी सेवाएं दीं। बता दें कि कर्नल शमशेर सिंह बहादुर को सेकंड लेफ्टिनेंट पद पर कमीशन मिला था।
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