India Pakistan War 1971: पाकिस्तानी ब्रिगेडियर ने भी माना ‘परमवीर चक्र’ अरुण खेत्रपाल का लोहा

पाकिस्तान के ब्रिगेडियर ने खेत्रपाल के साथ लड़ाई की थी। इसी दौरान वह शहीद हो गए थे। यह बात पाकिस्तान के ब्रेगेडियर ने खुद अरुण के पिता ब्रिगेडियर एमएस खेत्रपाल को बताई थी। 

India Pakistan War 1971

Arun Khetarpal

India Pakistan War 1971: पाकिस्तान के ब्रिगेडियर ने खेत्रपाल के साथ लड़ाई की थी। इसी दौरान वह शहीद हो गए थे। यह बात पाकिस्तान के ब्रेगेडियर ने खुद अरुण के पिता ब्रिगेडियर एमएस खेत्रपाल को बताई थी। 

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में भीषण युद्ध (India Pakistan War 1971) लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया गया था। पाकिस्तान ने युद्ध के अंत में अपने 93 हजार से ज्यादा सैनिकों के साथ भारत के सामने सरेंडर किया था। पाकिस्तान की पूरे विश्व में बेइज्जती हुई थी।

इस युद्ध (India Pakistan War 1971) में यूं तो सभी जवानों का अहम योगदान रहा लेकिन कुछ सैनिक ऐसे होते हैं जिनकी बहादुरी की मिसाल हमेशा चर्चा में रहती है। ऐसे ही एक जवान सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल भी थे। बसंतर (बैटल ऑफ बसंतर) की मशहूर लड़ाई में दुश्मन से घिर जाने के बावजूद उन्होंने अपनी बहादुरी दिखाई और अंत तक लड़े।

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पाकिस्तान के ब्रिगेडियर ने खेत्रपाल के साथ लड़ाई की थी। इसी दौरान वह शहीद हो गए थे। यह बात पाकिस्तान के ब्रेगेडियर ने खुद अरुण के पिता ब्रिगेडियर एमएस खेत्रपाल को बताई थी। एमएस खेत्रपाल बेटे के शहीद होने के बाद अपनी जन्म भूमि सरगोधा को देखने पाकिस्तान गए थे। उस समय उनकी उम्र 81 साल थी।

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इस दौरान पाकिस्तानी ब्रिगेडियर ने खेत्रपाल को अपने घर पर रुकाया था। कुछ दिन बाद उन्होंने अरुण के पिता को बताया कि आपका बेटा मेरे ही हाथों जंग के मैदान में शहीद हुआ था। वह बहादुरों की तरह लड़ा और उसे अंत तक हार नहीं मानी। हम दोनों ही अपने-अपने देश के लिए लड़े थे।

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