बर्फीले सीमा क्षेत्रों में जवानों को होती है पीने के पानी की समस्या, ऐसे संभाला जाता है मोर्चा

Indian Army in Ladakh: बर्फीले सीमा क्षेत्रों में पानी पूरी तरह से बर्फ बन जाता है। पानी के प्राकृतिक स्रोत खत्म हो जाते हैं। आवाजाही प्रभावित हो जाती है।

Siachen Glacier

Indian Army in Ladakh: बर्फीले सीमा क्षेत्रों में पानी पूरी तरह से बर्फ बन जाता है। पानी के प्राकृतिक स्रोत खत्म हो जाते हैं।आवाजाही प्रभावित हो जाती है। ऐसे में सीमित पानी में ही गुजारा करना पड़ता है।

भारतीय सेना के जवान देश की रक्षा के लिए किसी भी हद तक गुजरने के लिए तत्पर रहते हैं। जवानों ने कई मौकों पर इसे साबित भी किया है। सरहद पर हमारे जवान दिन रात तैनात रहते हैं। यही वजह है कि हर भारतीय चैन की नींद सोता है।

सरहद पर लद्दाख क्षेत्र में कई ऐसे इलाके मौजूद हैं जहां कड़ाके की ठंड पड़ती है। ठंड इस कदर पड़ती है कि जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। कई फीट बर्फ की चादर चढ़ जाती है। हाड़ कंपा देने वाली ठंड में भारतीय सेना के जवान सीमाओं पर विपरीत परिस्थितियों में दुश्मनों के खिलाफ तैनात रहते हैं।

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लद्दाख में ठंड में तापमान -30 से -40 डिग्री सेंटिग्रेट तक भी चला जाता है। जवानों के पास ठंड से बचने के लिए स्पेशल जैकेट्स, पजामे, दस्ताने, चश्मा, हेलमेट भी होते हैं। जवानों को बर्फ में चलने के लिए स्टीक और स्पेशल जूते भी दिए जाते हैं।

इस दौरान सबसे बड़ी समस्या पानी की होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि बर्फीले सीमा क्षेत्रों में पानी पूरी तरह से बर्फ बन जाता है। पानी के प्राकृतिक स्रोत खत्म हो जाते हैं। आवाजाही प्रभावित हो जाती है। ऐसे में सीमित पानी में ही गुजारा करना पड़ता है।

हालांकि पानी की व्यवस्था के लिए सेना टेक्नालॉजी पर भी निर्भर रहती है। जवानों को शून्य से नीचे डिग्री तापमान वाले इलाकों में पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए सोलर स्नो मेल्टर दिए जाते हैं जो कि दिनभर में 5 से 7 लीटर पानी की व्यवस्था कर देता है।

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