विशिष्ट सेवा के लिए सैनिकों को सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक से किया जाता है सम्मानित, जानें इसके बारे में

भारत के सैनिक सीमा पर देश की रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते। अपनी जान की बाजी लगाकर सैनिकों ने कई मौकों पर इस बात को साबित भी किया है। सैनिकों के अंदर देश के लिए कुछ कर जाने का एक जज्बा होता है।

Sarvottam Yudh Seva Medal

भारत में युद्ध, संघर्ष और युद्धस्थिति के दौरान सबसे असाधारण विशिष्ट सेवा के लिए सैनिकों को ‘सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक’ (Sarvottam Yudh Seva Medal)  से सम्मानित किया जाता है।

भारत के सैनिक सीमा पर देश की रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते। अपनी जान की बाजी लगाकर सैनिकों ने कई मौकों पर इस बात को साबित भी किया है। सैनिकों के अंदर देश के लिए कुछ कर जाने का एक जज्बा होता है। भारत माता के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना आजादी के बाद से अबतक कई सैनिकों ने बलिदान भी दिया है।

साल 1948 का युद्ध हो या 1962, 1965 या 1971 और 1999 की लड़ाई, सैनिकों ने हर मौके पर बेहतरीन प्रदर्शन कर दुश्मनों को भगा-भगाकर मारा है। युद्ध के दौरान कुछ सैनिक बहादुरी की ऐसी मिसाल पेश करते हैं जिसे हमेशा याद किया जाता है। सैनिकों के शौर्य और पराक्रम को देखते हुए उन्हें सैन्य सम्मान भी दिया जाता है।

 

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युद्ध, संघर्ष, युद्धस्थिति के दौरान सबसे असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए सैनिकों को ‘सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक’ (Sarvottam Yudh Seva Medal) से सम्मानित किया जाता है। यह सम्मान मरणोपरांत भी दिया जा सकता है। सेना, नौसेना, वायुसेना के साथ-साथ प्रादेशिक सेना की टुकड़ियां अतिरिक्त सैन्य बल और रिजर्व बल सशस्त्र बल के सभी रैंकों के सैनिक और अधिकारी इसके लिए पात्र माने जाते हैं।

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यह पदक गोलाकार होता है जिसका व्यास 35 मिमी होता है, और इसे नियत साज-सामान के साथ एक सपाट पट्टी में फिट किया जाता है। इस पदक पर सोने की परत चढ़ाई जाती है। इसके सामने वाले हिस्से पर राज्य-चिह्न और हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में छपा होता है। इसके फ्रंट पर पांच बिंदुओं वाला एक सितारा बना होता है। इसका रिबन सुनहरे रंग का होता है, जो लाल रंग की खड़ी रेखा द्वारा दो बराबर भागों में विभाजित होता है।

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