फील्ड मार्शल करियप्पा के बेटे को बना लिया गया था युद्धबंदी, छुड़वाने से कर दिया था इनकार

‘नंदा मेरा नहीं इस देश का बेटा है। उसके साथ वही बर्ताव किया जाए जो दूसरे युद्धबंदियों के साथ किया जा रहा है। छोड़ना है तो सभी युद्धबंदियों को छोड़िए।’

India Pakistan War 1965: ‘नंदा मेरा नहीं इस देश का बेटा है। उसके साथ वही बर्ताव किया जाए जो दूसरे युद्धबंदियों के साथ किया जा रहा है। अगर आप उसे छोड़ना ही चाहते हैं तो सभी युद्धबंदियों को छोड़िए।’

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में लड़े गए युद्ध में फील्ड मार्शल करियप्पा के बेटे फ्लाइट लेफ्टिनेंट नंदा करियप्पा को युद्धबंदी बना लिया गया था। खास बात यह थी कि करियप्पा ने अपने बेटे को छुड़वान के लिए रिहाई से इनकार कर दिया था।

दरअसल 22 सितंबर 1965 को नंदा करियप्पा तीन सदस्यों वाले स्क्वॉड्रन को लीड कर रहे थे। इस दौरान दुश्मनों के ठिकानों पर हमला करने की योजना थी। दुश्मन भी नीचे से लगातर गोलियां बरसा रहे थे। फ्लाइट लेफ्टिनेंट नंदा करियप्पा और उनके साथी पायलट बेहद ही बहादुरी के साथ दुश्मनों से निपट रहे थे।

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इसी दौरान उनके विमान पर दुश्मन की गोली लग गई तो आग की लपटें उठने लगी। दूसरे विमान में सवार जवान ने उन्हें टेलिकॉम के जरिए इसकी सूचना दी। इसके बाद उन्हें समझ आ गया था कि उनके पास विमान से इजेक्ट होने के अलावा और कोई विकल्प नहीं। विमान से इजेक्ट होने के बाद वे पाकिस्तानी सरजमीं पर जा गिरे। पाकिस्तानी सेना ने उन्हें घेर लिया था और वे युद्धबंदी बनाए जा चुके थे।

इस दौरान करियप्पा सरनेम होने की वजह से उनसे पूछा गया कि क्या उनका फील्ड मार्शल करियप्पा से कोई संबंध हैं। तो उन्होंने बताया कि वे उनके ही बेटे हैं। इसके बाद पाकिस्तानी रेडियो ने भारतीय सेना को उनके सुरक्षित होने की जानकारी दी थी। पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने फील्ड मार्शल करियप्पा को ऑफर दिया कि वे हामी भरें तो फ्लाइट लेफ्टिनेंट नंदा करियप्पा को रिहा कर दिया जाएगा।

इस ऑफर को फील्ड मार्शल करियप्पा ने ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था कि ‘, ‘नंदा मेरा नहीं इस देश का बेटा है। उसके साथ वही बर्ताव किया जाए जो दूसरे युद्धबंदियों के साथ किया जा रहा है। अगर आप उसे छोड़ना ही चाहते हैं तो सभी युद्धबंदियों को छोड़िए।’

 

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