करगिल के हीरो थे लांस नायक आबिद खान, 17 पाकिस्तानी सैनिकों को किया था ढेर

दुश्मन की एक गोली आबिद के पैर में लग गई। असहनीय दर्द और बुरी तरह घायल होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत न हारते हुए आगे बढ़कर एक साथ 32 फायर झोंक दिए। आबिद के इस ताबड़तोड़ हमले में एक साथ 17 पाक सैनिकों की लाशें बिछ गईं।

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शहीद लांस नायक आबिद खान। फाइल फोटो।

लांस नायक आबिद खान भारतीय सेना के ऐसे जांबाज सैनिकों में शुमार हैं, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दी। लांस नायक आबिद खान ने करगिल युद्ध में टाइगर हिल की चोटी पर 17 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मौत की नींद सुलाया था। आज ही के दिन यह वीर शहीद हुआ था। करगिल युद्ध में शहीद सैनिकों में लांस नायक शहीद आबिद खान भी शामिल थे। शहीद आबिद हरदोई जिले के पाली कस्बे के निवासी थे। उनकी शहादत पर आज भी यहां का हर एक व्यक्ति नाज करता है।

पाली नगर के मोहल्ला काजीसराय में 6 मई, 1972 को जन्मे आबिद खां बचपन से ही वीर थे। उनका सपना था कि वह सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा में अपना योगदान दें। 5 फरवरी, 1988 को उनकी यह ख्वाहिश पूरी हो गई, जब वह सेना में भर्ती हुए। उनके पिता का नाम गफ्फार खां और माता का नाम नत्थन बेगम है। उनकी शादी फिरदौस बेगम से हुई थी। एक बार आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान उन्होंने अकेले मोर्चा संभाला था। दुश्मनों से घिर जाने के बावजूद अपनी बहादुरी और सूझ-बूझ से वहां से बचकर सकुशल चौकी पर पहुंच गए थे। उनके इस साहसिक कारनामे के लिए आबिद को 1995 में सेना मेडल से सम्मानित किया गया था।

इसके 4 साल बाद, 1999 में करगिल की जंग शुरू हो गई। आबिद बकरीद की छुट्टियों पर घर आए हुए थे और तभी हेडक्वाटर से बुलावा आ गया। छुट्टियां अधूरी छोड़ आबिद को फौरन ड्यूटी पर जाना पड़ा। युद्ध में आबिद की पलटन को टाइगर हिल फतह करने भेजा गया। 30 जून को उनकी पलटन रवाना हुई। दुश्मनों के सामने भारत के वीर सपूत ढाल बनकर खड़े हो गए। दोनों ओर से ताबड़तोड़ गोलियां बरस रही थीं। युद्ध में दुश्मन की गोलाबारी के बीच कई भारतीय सैनिक शहीद हो गए। इसमें दुश्मन की एक गोली आबिद के पैर में लग गई। असहनीय दर्द और बुरी तरह घायल होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत न हारते हुए आगे बढ़कर एक साथ 32 फायर झोंक दिए। आबिद के इस ताबड़तोड़ हमले में एक साथ 17 पाक सैनिकों की लाशें बिछ गईं। इसी बीच एक और गोली आबिद को आ लगी जिससे भारत मां का यह वीर सपूत मातृभूमि की रक्षा करता हुआ शहीद हो गया।

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