Jammu-Kashmir: नहीं मिल रहा था दुर्लभ ब्लड ग्रुप, CRPF का जवान बना मददगाार; बचाई वृद्ध की जान

नाजिर हुसैन के परिवार ने कश्मीर स्थित सीआरपीएफ (CRPF) की ‘मददगार’ हेल्पलाइन को सोशल मीडिया पर एक मेसेज भेजा था। मेसेज में नाजिर ने कहा था कि उन्हें किडनी की बीमारी से जूझ रहे एक मरीज के लिए ‘एबी नेगेटिव’ रक्त की तत्काल आवश्यकता है।

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जम्मू में CRPF की 72वीं बटालियन के इकलौते जवान अशोक कुमार हैं जिनका ब्लड ग्रुप ‘एबी निगेटिव’ है। अशोक कुमार जब 2003 में सीआरपीएफ (CRPF)  के लिए भर्ती प्रक्रिया से गुजर रहे थे तभी उन्हें मालूम चला कि उनका दुर्लभ ब्लड ग्रुप ‘एबी नेगेटिव’ है। आज उनके खून ने एक इंसान को नई जिंदगी दे दी है।

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CRPF का जवान बना मददगाार, बचाई वृद्ध की जान।

हाल ही में अशोक ने अपना ब्लड डोनेट करके पुंछ के रहने वाले 69 साल के नाजिर की जान बचाई। कुमार ने बताया, ‘जब मेरे कमांडेंट ने मुझे स्वेच्छा से यह करने के लिए कहा तो मुझे खुशी हुई और मैं मदद के लिए तैयार हो गया।’

दरअसल, जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में भारत-पाकिस्तान सीमा के समीप स्थित शहर पुंछ के नाजिर हुसैन के परिवार ने कश्मीर स्थित सीआरपीएफ (CRPF) की ‘मददगार’ हेल्पलाइन को सोशल मीडिया पर एक मेसेज भेजा था। मेसेज में नाजिर ने कहा था कि उन्हें किडनी की बीमारी से जूझ रहे एक मरीज के लिए ‘एबी नेगेटिव’ रक्त की तत्काल आवश्यकता है।

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सीआरपीएफ (CRPF) की हेल्पलाइन ने तुरंत कार्रवाई शुरू करते हुए अपने डेटाबेस को खंगालना शुरू किया। चुकि यह एक दुर्लभ ब्लड ग्रुप है, इसलिए मिलने की संभावना कम थी। लेकिन 39 वर्षीय हेड कॉन्स्टेबल और रेडियो ऑपरेटर अशोक कुमार पर जाकर यह तलाश खत्म हो गई। यह दुर्लभ ब्लड ग्रुप अशोक कुमार का था।

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बड़ी उम्मीद से मदद का इंतजार कर रहे हुसैन के पोते अदालत खान ने कहा कि कुमार का रक्त दान करना एक नेमत के तौर पर आया है।खान ने सुरक्षा बल का शुक्रिया अदा करते हुए पत्र लिखा, ‘मैं हमेशा सीआरपीएफ (CRPF) की 72वीं बटालियन का शुक्रगुजार रहूंगा तथा खासतौर से भाई अशोक कुमार का जो एक फरिश्ते के तौर पर आए और इस मुश्किल वक्त में अपना कीमती रक्त दान देकर एक जान बचाई तथा यह साबित किया कि इंसानियत कभी नहीं मरती।’

खान ने बताया कि ‘एबी नेगेटिव’ जैसा दुर्लभ ब्लड ग्रुप होने के कारण कहीं भी उपलब्ध नहीं था। यहां तक कि खान के परिवार के किसी सदस्य का भी ब्लड ग्रुप एबी नेगेटिव नहीं था। ऐसे में अशोक की मदद ने नाजिर हुसैन को एक नई जिंदगी दी है।

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