
CRPF की लेडी सिंघम संतो देवी
श्रीनगर में 5 फरवरी को आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में सीआरपीएफ (CRPF) की 73वीं बटालियन की सेकेंड इंचार्ज संतो देवी के नेतृत्व में टीम ने दो आतंकियों को मार गिराया। जबकि तीसरे को घायल अवस्था में गिरफ्तार कर लिया, जिसकी अस्पलात में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

श्रीनगर में 5 फरवरी को आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में सीआरपीएफ (CRPF) की 73वीं बटालियन की सेकेंड इंचार्ज संतो देवी के नेतृत्व में टीम ने दो आतंकियों को मार गिराया। जबकि तीसरे को घायल अवस्था में गिरफ्तार कर लिया, जिसकी अस्पलात में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ का एक जवान शहीद हो गया था। CRPF की इस जांबाज महिला अधिकारी संतो देवी ने बताया कि यहां पर हमारी 73 बटालियन का नाका था। हमें इनपुट थे कि कुछ आतंकी बारामुला से इधर घुस सकते हैं।
नाके पर एक स्कूटी पर तीन लोग बिना हेलमेट के आते दिखे, उन्हें जब रोका गया तो उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। इसमें हमारा एक जवान रमेश रंजन सिर में गोली लगने के चलते शहीद हो गया। फायरिंग होते ही हमने मोर्चा संभाल लिया। जवाबी फायरिंग में स्कूटी चला रहा आतंकी गंभीर रूप से घायल हो गया जबकि दो मौके पर ही मारे गए। घायल आतंकी को भी हमारी पार्टी के जवानों ने थोड़ी दूर पर पकड़ लिया और अस्पताल ले गए। हमले के वक्त संतो देवी ने जवानों के साथ बीच सड़क पर मोर्चा संभाल लिया था। संतो देवी हरियाणा की रहने वाली हैं और पिछले 33 सालों से सीआरपीएफ (CRPF) में तैनात हैं।
संतो देवी के अनुसार, इस पूरे ऑपरेशन को शुरू और खत्म होने में बस दस मिनट का समय लगा। लेकिन यह उनकी जिंदगी का सबसे कठिन ऑपरेशन रहा। संतो देवी इससे पहले भी अपनी बहादुरी दिखा चुकी हैं। वह साल 2005 में आयोध्या में रामलला परिसर पर हुए आतंकी हमले को विफल करने वाली टीम का हिस्सा रह चुकी हैं। उन्हें गर्व है कि जो टास्क दिया गया था उन्होंने उसे इमानदारी से निभाया और आतंकियों के नापाक मंसूबे पर पानी फेर दिया। वहीं, सीआरपीएफ (CRPF) के सभी बड़े अधिकारियों ने उनकी टीम को इस ऑपेरशन के लिए शाबाशी भी दी है।
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