CRPF जवानों ने खून देकर घायल नक्सली की जान बचाई।
आम तौर पर नक्सली हमारे जवानों के खून के प्यासे होते हैं। बरसों से यह नक्सली सिर्फ अपनी झूठी शान-ओ-शौकत और गुमराह करने वाले आंदोलनों के लिए हमारे सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं। लेकिन झारखंड में तैनात दो सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों ने मुठभेड़ में घायल नक्सली (Naxali) को रक्तदान कर मिसाल कायम की है।
दरअसल, बीते गुरुवार (28 मई) को पश्चिम सिंहभूम जिले में सीआरपीएफ (CRPF) की 60वीं बटालियन और पुलिस के साथ नक्सलियों की भीषण मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में हमारे बहादुर जवानों ने 3 नक्सलियों (Naxals) को मार गिराया था। एनकाउंटर के दौरान दो नक्सली पकड़े भी गए थे। यह दोनों ने एनकाउंटर में जख्मी हो गए थे।
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मनमारू और टेबो के जंगलों में इस मुठभेड़ में घायल एक नक्सली मनोज हेस्सा को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां चिकित्सकों को उसकी जान बचाने के लिए खून की जरुरत थी। टाटानगर के अस्पताल के चिकित्सकों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) कमांडर को बताया कि घायल मनोज का काफी खून बह चुका है और उसे खून की जरुरत है।
Constable Om Prakash Yadav and Constable Sandeep Kumar of #60Bn donated blood and saved life of a maoist who was injured while trying to ambush the CRPF team.
We congratulate our men in uniform who display ultimate valour and humanity while encountering adversaries. https://t.co/lBm4PWA97N pic.twitter.com/Eb6nV7k2BW
— 🇮🇳CRPF🇮🇳 (@crpfindia) May 29, 2020
उसी वक्त नक्सली मनोज की जान बचाने की खातिर कॉन्स्टेबल ओम प्रकाश यादव और संदीप कुमार ने रक्तदान करने का फैसला किया। कॉन्स्टेबल ने अपने इस फैसले के बारे में कहा कि ‘मुझे मालूम है कि ये लोग (नक्सली) हम पर बंदूक तानते हैं।
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हम भी उनके खिलाफ अभियान चलाते हैं लेकिन, हर चीज से ऊपर इंसानियत है। मैंने केवल इंसान के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभाई। मैंने इससे पहले भी खून दिया है। मुझे यह लगता है कि जान बचाने के लिए ये सबसे अच्छा तोहफा है। जो एक इंसान दूसरे को दे सकता है।’
कॉन्स्टेबल संदीप कुमार ने कहा- हम लड़ाई में जाते हैं और गोलियां चलाते हैं। देश के लिए अपना कर्तव्य निभाते हुए हम विरोधियों की जान लेते हैं। लेकिन, जान बचाना भी हमारा कर्तव्य है।
आपको बता दें कि मनोज हेस्सा को सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों ने खून देकर उसकी जान बचा ली है। बहादुर जवानों ने इस तरह जो इंसानियत की मिसाल पेश की है वो वाकई काबिल-ए-तारीफ और कभी ना भुलाने वाली है।
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