
5 साल तक यह बहादुर जवान जिंदगी और मौत की जंग लड़ता रहा। दरअसल 5 साल पहले यह जवान नक्सलियों के हमले में घायल हो गया था। लेकिन अफसोस कि 5 साल तक मौत को मात देने के बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का यह जवान आखिरकार जिंदगी की जंग हार गया। हम बात कर रहे हैं बिहार के रहने वाले सीआरपीएफ के जवान जीतेंद्र कुमार की। नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के सुकमा में 12 अप्रैल, 2014 को हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ के जवान जीतेंद्र कुमार घायल हो गए थे। उस हमले में 5 जवान शहीद हो गए थे और 2 जवान घायल हुए थे। वे सभी उस वक्त हो रहे आम चुनावों में तैनात थे।
ड्यूटी से लौटते वक्त सुरक्षाबलों पर नक्सलियों ने यह हमला किया था। आईईडी विस्फोट में जीतेंद्र कुमार बुरी तरह घायल हो गए थे और वे कोमा में चले गए थे। हमला होने के बाद उन्हें पहले जगदलपुर पहुंचाया और फिर एयर एम्बुलेंस ने उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उनकी हालत को देखते हुए उन्हें एम्स ट्रॉमा सेंटर में रेफर कर दिया गया था। इस हमले में दो आम नागरिकों की भी जान चली गई थी। उनके बॉस और सीआरपीएफ के डीआईजी योग्यान सिंह अक्सर अस्पताल में जीतेंद्र कुमार से मिलने जाते थे। उन्हें उम्मीद थी कि एक दिन जीतेंद्र आखें खोलेंगे, कुछ बोलेंगे।
जीतेंद्र कुमार की मां भी अपने बेटे को देखने के लिए दिल्ली आती थीं। लेकिन घर में पारिवारिक और आर्थिक मजबूरियों के कारण वे कम ही आ पाती थीं। 10 अगस्त को सबकी उम्मीदें टूट गईं। जीतेंद्र कुमार हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गए। कुमार बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के दुभा गांव के रहने वाले थे। वे 31 साल के थे। उन्होंने 2011 में सीआरपीएफ ज्वाइन किया था। जीतेंद्र कुमार सीआरपीएफ की 80वीं बटालियन में तैनात थे। कर्तव्यों का पालन करने और असाधारण वीरता दिखाने वाले इस सैनिक को ‘पराक्रम पदक’ से सम्मानित किया गया था।
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